कर्नाटक के पूर्व मंत्री जनार्दन रेड्डी को अवैध खनन मामले में 7 वर्षों की सजा
हैदराबाद, 6 मई। तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने मंगलवार को ओबुलापुरम खनन कम्पनी (OMC) द्वारा अवैध खनन के मामले में कर्नाटक के पूर्व मंत्री एवं विधायक जी. जनार्दन रेड्डी सहित चार लोगों को दोषी ठहराया। अदालत ने सभी को सात साल की सजा सुनाई है और प्रत्येक पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।
रेड्डी सहित 4 लोग दोषी करार, सभी हिरासत में
इस मामले में रेड्डी प्रतिवादी संख्या-दो थे। अदालत ने कम्पनी पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। सीबीआई कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने रेड्डी और अन्य को हिरासत में ले लिया।
आरोप पत्र दायर करने के लगभग 14 वर्षों बाद आया फैसला
सीबीआई अदालत ने रेड्डी और अन्य के खिलाफ जांच एजेंसी द्वारा आरोप पत्र दायर करने के लगभग 14 वर्षों बाद यह फैसला सुनाया है, जिसमें उन पर खनन पट्टे की सीमा के साथ छेड़छाड़ करने तथा कर्नाटक-आंध्र प्रदेश सीमा पर बेल्लारी रिजर्व वन क्षेत्र में अवैध रूप से खनन करने का आरोप लगाया गया था।
सीबीआई मामलों के प्रधान विशेष न्यायाधीश टी. रघुराम ने इस मामले में जनार्दन रेड्डी के अलावा उनके रिश्तेदार एवं ओएमसी के प्रबंध निदेशक श्रीनिवास रेड्डी (ए-1) और तत्कालीन खान एवं भूविज्ञान सहायक निदेशक वीडी राजगोपाल (ए-3) तथा रेड्डी के निजी सहायक महफूज अली खान (ए-7) को दोषी ठहराया है। हालांकि अदालत ने पूर्व मंत्री सबिता इंद्र रेड्डी और पूर्व नौकरशाह बी. कृपानंदम को इस मामले में बरी कर दिया।
अवैध खनन से सरकारी खजाने को 884 करोड़ के नुकसान का आरोप था
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि 2007 से 2009 के बीच अवैध खनन से सरकारी खजाने को 884 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। सीबीआई ने पूर्व मंत्री रेड्डी, श्रीनिवास रेड्डी, राजगोपाल, दिवंगत आर. लिंगा रेड्डी और ओएमसी (ए-4) के खिलाफ इस मामले में पहला आरोप पत्र तीन दिसम्बर, 2011 को दायर किया था और उसके बाद तीन पूरक आरोप पत्र दायर किए थे।
तेलंगाना उच्च न्यायालय ने इस मामले में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की वरिष्ठ अधिकारी वाई. श्रीलक्ष्मी को नवम्बर 2022 में बरी कर दिया था। सीबीआई के लोक अभियोजक इंद्रजीत संतोषी और सहायक लोक अभियोजक विष्णु मज्जी ने इस मामले में जांच एजेंसी की पैरवी की।
