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अफगानिस्तान संकट : फिर टला तालिबान सरकार का गठन, कई कबीलों में उठे विरोध के स्वर

अफगानिस्तान संकट : फिर टला तालिबान सरकार का गठन, कई कबीलों में उठे विरोध के स्वर

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नई दिल्ली, 4 सितम्बर। संकटग्रस्त अफगानिस्तान में तालिबान सरकार का गठन फिर टल गया है। शनिवार को इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन तालिबान के अधिकारिक बयान में कहा गया कि नई सरकार का गठन अब दो से तीन दिनों बाद होगा। बताया जा रहा है कि तालिबान का को-फाउंडर मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के नेतृत्व में नई अफगान सरकार का गठन होना है। नई सरकार में शामिल लोगों के नामों का खुलासा भी उसी वक्त किया जाएगा।

ज्ञातव्य है कि पहले शुक्रवार, तीन सितम्बर को नई सरकार का गठन किया जाना था। फिर इसे शनिवार तक के लिए टाला गया और अब नए बयान में अगले दो-तीन दिनों में नई सरकार के गठन की बात कही गई है। समझा जाता है कि आपस में ही विरोध के स्वर उठ रहे हैं, जिसके चलते यह विलंब हो रहा है। यह देरी ऐसे समय हो रही है, जब तालिबान की तरफ से दावा किया गया है कि उसने पंजशीर पर भी कब्जा कर लिया और अब पूरा अफगानिस्तान उसके नियंत्रण में आ चुका है।

कई कबीलों के सरदारों ने तालिबान के खिलाफ खोला मोर्चा

दरअसल, सत्ता हासिल करने के बाद भी तालिबान के सामने चुनौतियों का अंबार है। कई कबीले के सरदारों ने अभी से ही तालिबान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अलग-अलग कबीलों के सरदारों में कुछ तालिबान के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक चुके हैं और कुछ तैयारी में हैं। इनमें मोहम्मद अता नूर, अब्दुल रशीद दोस्तम, इस्माइल खान, अब्दुल राब सैयफ, गुल आगा शेरजई, अहमद मसूद, अब्दुल गनी मोहम्मद युसूफ और करीम खलीली आदि प्रमुख नाम है। इनमें कुछ तो भारत को करीबा दोस्त मानते हैं।

सालेह ने पंजशीर पर कब्जे का दावा किया खारिज

इस बीच अफगानिस्तान के पूर्व उप-राष्ट्रपति और मौजूदा समय स्वघोषित राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने तालिबान के उस दावे को खारिज कर दिया है कि उसने पंजशीर पर भी कब्जा जमा लिया है।

अमरुल्ला सालेह ने कहा कि लड़ाई जारी है और जारी रहेगी। उन्होंने कहा, ‘मैं अपनी मिट्टी के साथ हूं और इसकी गरिमा की रक्षा कर रहा हूं।’ वहीं, पंजशीर से जुड़े एक ट्विटर अकाउंट में कहा गया कि पाकिस्तानी, रूस और चीन पंजशीर रेजिस्टेंस के खिलाफ प्रोपेगेंडा चला रहे हैं।

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