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स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ लखनऊ में एफआईआर दर्ज, रामचरितमानस पर दिया था विवादित बयान

स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ लखनऊ में एफआईआर दर्ज, रामचरितमानस पर दिया था विवादित बयान

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लखनऊ, 23 जनवरी। समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य रामचरित मानस पर विवादित बयान देने के बाद मुसीबत में फंसते नजर आ रहे हैं। दिल्ली के बाद अब अखिल भारतीय हिन्दू महासभा ने लखनऊ में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।

लखनऊ के हजरतगंज थाने में स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के प्रदेश अध्यक्ष ऋषि कुमार त्रिवेदी ने एक पत्र भी लिखा है और मौर्य पर लाखों हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया है।

क्या कहा था स्वामी प्रसाद मौर्य ने

रामचरित मानस पर टिप्पणी करते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था, ‘जिस दकियानूसी साहित्य में पिछड़ों और दलितों को गाली दी गई हो, उसे प्रतिबंधित होना चाहिए। कई करोड़ लोग ऐसे हैं, जो रामचरित मानस को नहीं पढ़ते। सब बकवास है, जिसे तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है। सरकार को संज्ञान में लेते हुए रामचरित मानस से उसके आपत्तिजनक अंश को बाहर कर देना चाहिए या फिर इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए।’

हिन्दू महासभा ने अखिलेश से स्वामी प्रसाद को पार्टी से बर्खास्त करने की मांग की

स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान के बाद हंगामा मच गया। अखिल भारतीय हिन्दू महासभा कार्यकर्ताओं ने सड़क पर प्रदर्शन करने के साथ ही सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मौर्य को बर्खास्त करने की भी मांग की। दूसरी तरफ संत समाज ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान की निंदा की थी।

अपर्णा बोलीं – जो ऐसी टिप्पणी कर रहा है, वह अपना ही चरित्र दिखा रहा

मौर्य के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए दिवंगत सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू और भाजपा नेता अपर्णा यादव ने कहा, ‘राजनीति गर्म करने के लिए जो ऐसी टिप्पणी कर रहा है, वह अपना ही चरित्र दिखा रहा है। शबरी के जूठे बेर खाकर श्रीराम ने जाति प्रथा को तोड़ा। राम भारत का चरित्र हैं और राम किसी एक धर्म या मजहब के नहीं हैं।’

स्वामी प्रसाद के बयान के बाद उनकी पार्टी सपा भी खुद को मुसीबत में फंसी हुई पा रही है। सपा ने इस बयान से पिंड छुड़ाने की बजाय फिलहाल खामोशी अख्तियार कर रखी है। हालांकि पार्टी की ओर से कहा जा चुकी है कि मौर्य ने रामचरिच मानस के बारे में जो बातें कहीं, वह उनका निजी बयान था।

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