वित्त मंत्रालय ने वैश्विक शेयर बाजारों में संभावित करेक्शन को लेकर जताई चिंता, कहा – हर जगह दिख सकता है असर
नई दिल्ली, 26 सितम्बर। वित्त मंत्रालय ने वैश्विक शेयर बाजारों में संभावित करेक्शन को लेकर चिंता जताई है और आगाह किया है कि ऐसे करेक्शन का असर दुनियाभर में देखा जा सकता है। मंत्रालय ने अगस्त की मासिक आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में स्टॉक मार्केट और अर्थव्यवस्था को लेकर आकलन यह अंदेशा जताया है। उसका कहना है कि कुछ देशों में पॉलिसी संबंधी हालिया घोषणाओं की वजह से स्टॉक मार्केट में तेजी है और अब करेक्शन के आसार बढ़ गए हैं।
विकसित देशों में भी मंडरा रहीं मंदी की आशंकाएं
मंत्रालय की मासिक आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यदि जोखिम बढ़ता है, तो इसका असर वैश्विक स्तर पर देखने को मिलेगा।’ दरअसल, विकसित देशों में भी मंदी की आशंकाएं मंडरा रही हैं। भूराजनीतिक संघर्ष, ब्याज दरों में कटौती का ग्लोबल साइकल शुरू होने आदि वजहों से मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
कुछ इलाकों में कमजोर बारिश से कृषि उत्पादन पर पड़ सकता है असर
मंत्रालय ने घरेलू अर्थव्यवस्था के भीतर चुनौतियों की तरफ इशारा किया है और कुछ इलाकों में बारिश की कमी और कृषि उत्पादन पर इसके असर को लेकर भी चिंता जताई है। हालांकि, मंत्रालय का यह भी कहना है कि यदि मौसम की ज्यादा मार नहीं देखने को मिली, तो ग्रामीण इलाकों में आय और मांग में मजबूती देखने को मिल सकती है।
रिपोर्ट में कुछ सेक्टरों में दबाव के शुरुआती संकेत भी देखे जा सकते हैं, मसलन पैसेंजर ह्वीकल सेल्स में सुस्ती और इसकी इन्वेंट्री में बढ़ोतरी। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) ने इस तरफ इशारा किया है। इसके अलावा, नील्सनआईक्यू (NielsenIQ) के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में शहरों में एफएमसीजी सेल्स में सुस्ती रही।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक
मंत्रालय का कहना है, ‘हालांकि, यह ट्रेंड फेस्टिव सीजन के आगमन के साथ ही बदल सकता है, लेकिन इस पर नजर रखने की जरूरत है।’ बहरहाल, मंत्रालय का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कुछ सकारात्मक भी है, खास तौर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट। रिपोर्ट के अनुसार इसके अलावा मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान भारतीय राज्यों का पूंजीगत खर्च भी कम हुआ है।