वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बोलीं – पहले भी वापस हो चुके हैं FPO, भारत की छवि और स्थिति पर कोई प्रभाव नहीं
नई दिल्ली, 4 फरवरी। अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप की कम्पनियों के शेयरों में आई भारी गिरावट की वजह से बीते दिन देश की संसद में विपक्ष ने जमकर हंगामा मचाया। गिरते शेयरों की वजह से अडानी ग्रुप के मार्केट कैपिटलाइजेशन में जबर्दस्त गिरावट आई है। फिलहाल अडानी के मामले पर मचे बवाल के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फिर कहा है कि इससे भारत की स्थिति किसी भी तरह से प्रभावित नहीं हुई है।
‘FPO का आना-जाना लगा रहता है‘
निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा, ‘हमारा विदेशी मुद्रा भंडार पिछले दो दिनों में बढ़कर 8 मिलियन डॉलर हो गया है। पहले भी FPO वापस लिए गए हैं। FII और FPO का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन अडानी के मामले से भारत की छवि और स्थिति प्रभावित नहीं हुई है। नियामक अपना काम करेंगे। रिजर्व बैंक ने अपना बयान जारी कर दिया है।’
गौरतलब है कि गुरुवार के बाद शुक्रवार को भी संसद में विपक्षी सदस्य अडानी ग्रुप के मुद्दे पर चर्चा और संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराए जाने की मांग कर रहे थे। हालांकि विपक्ष के हंगामे के कारण संसद की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
नजर बनाए हुए है रिजर्व बैंक
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी निवेशकों की चिंताओं को दूर करते हुए कहा कि देश की बैंकिंग प्रणाली लचीली और स्थिर बनी हुई है। आरबीआई ने एक बयान में कहा कि वह सतर्क है और देश के बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता की निगरानी करना जारी है। RBI की ओर से कहा गया है कि नियामक और पर्यवेक्षक के रूप में RBI वित्तीय स्थिरता बनाए रखने की दृष्टि से बैंकिंग क्षेत्र और व्यक्तिगत बैंकों पर निरंतर निगरानी रखता है।
वापस लिया था 20,000 करोड़ रुपये का FPO
गौरतलब है कि अडानी ग्रुप ने अपनी फ्लैगशिप कम्पनी अडानी एंटरप्राइजेज के 20,000 करोड़ रुपये के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) को बुधवार वापस ले लिया था। 20,000 करोड़ रुपये के लिए ये FPO 27 जनवरी को सब्सक्रिप्शन के लिए खुला था और 31 जनवरी को फुल सब्सक्राइब होकर बंद हुआ था। फॉलो-ऑन-पब्लिक ऑफर (FPO) को सेकेंडरी ऑफरिंग के रूप में भी जाना जाता है। यह एक ऐसा प्रोसेस है, जिसके तहत स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्ट कम्पनी मौजूदा शेयरधारकों के साथ-साथ नए निवेशकों को नए शेयर जारी करती हैं।
हिंडनबर्ग का आरोप
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट गत 24 जनवरी को आई थी। इसके बाद से ही अडानी ग्रुप की कम्पनियों के शेयरों में गिरावट का दौर शुरू हुआ था। हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि अडानी ग्रुप की लिस्टेड सात कम्पनियां 85 फीसदी ओवरवैल्यूड हैं। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि अडानी समूह दशकों से स्टॉक हेरफेर और मनी लॉन्ड्रिंग में लगा हुआ है।
सात दिनों में डूबे 9 लाख करोड़
इस वजह से पिछले सात कारोबारी सत्रों में अडानी ग्रुप को नौ लाख करोड़ रुपये का मार्केट कैप गंवाना पड़ा है। अडानी पावर, अडानी टोटल गैस, अडानी विल्मर, अडानी ग्रीन, अडानी ट्रांसमिशन, अडानी पोर्ट्स, अडानी एंटरप्राइजेज, अंबुजा सीमेंट्स, एसीसी और एनडीटीवी को मिलाकर स्टॉक मार्केट में अडानी ग्रुप के कुल 10 शेयर लिस्टेड हैं। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद इन शेयरों में 50 फीसदी तक की गिरावट आई है।