1. Home
  2. हिन्दी
  3. राष्ट्रीय
  4. परिजनों ने गंगा में विसर्जित कीं कथक सम्राट बिरजू महाराज की अस्थियां
परिजनों ने गंगा में विसर्जित कीं कथक सम्राट बिरजू महाराज की अस्थियां

परिजनों ने गंगा में विसर्जित कीं कथक सम्राट बिरजू महाराज की अस्थियां

0
Social Share

वाराणसी, 22 जनवरी। कथक सम्राट पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज के परिजनों ने शनिवार को अस्सी घाट पर गंगा में महान कलाकार की अस्थियां विसर्जित कर दीं। विसर्जन से पहले घाट पर अस्थि कलश का वैदिक रीति से पूजन किया गया। अस्थि कलश के साथ पंडित बिरजू महाराज के बड़े पुत्र पंडित जय किशन महाराज और शिष्या शाश्वती सेन के अलावा परिवार के अन्य लोग भी थे।

17 जनवरी को दिल्ली के अस्पताल में हुआ था निधन

ज्ञातव्य है कि 83 वर्षीय पंडित बिरजू महाराज का गत 17 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में साकेत स्थित एक अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हुआ था।

पं. बिरजू महाराज की शिष्या डॉ. संगीता सिन्हा ने बताया कि महाराज जी का अस्थि कलश शुक्रवार को लखनऊ स्थित उनके पैतृक आवास बिंदादीन महाराज की ड्योढ़ी में रखा गया था। लखनऊ के कलाकारों और महाराज जी के प्रशंसकों ने अस्थि कलश के दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। इसके बाद परिजन अस्थि कलश लेकर देर रात वाराणसी आ गए थे।

वाराणसी के कलाकारों और प्रशंसकों ने महाराज को दी श्रद्धांजलि

पं. बिरजू महाराज के अस्थि विसर्जन से पहले काशी के कलाकारों एवं प्रशंसकों ने पहले कबीरचौरा और फिर कस्तूरबा नगर कॉलोनी (सिगरा) स्थित नटराज संगीत अकादमी परिसर में अस्थि कलश पर पुष्पांजलि और श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद अस्थि कलश अस्सी घाट पर ले जाया गया, जहां उसका वैदिक रीति से पूजन भी हुआ। इस दौरान जय किशन महाराज के साथ उनके बेटा त्रिभुवन और शिष्या शाश्वती सेन के अलावा बनारस घराने के कई कलाकार भी मौजूद थे।

बेटे ने कहा – महाराज जी अगले 100 साल तक के लिए कथक की टेक्निक हमें दे गए 

गंगा में अस्थियां विसर्जित करने के बाद बेटे जय किशन महाराज ने अपने पिता को याद करते हुए कहा, ‘वह केवल कथक के ही पर्याय नहीं थे। उनके अंदर सभी गुण थे, चाहे गीत हो, संगीत हो, चित्रकला हो, वाद्य हो, साहित्य हो, या फिर कविताएं हो। यह सम्पूर्ण गुण पाना कोई आसान बात नही हैं।’

जय किशन महाराज ने कहा, ‘महाराज जी ने अपना पूरा जीवन एक कलाकार के रूप में जिया और हमे सिखाया। उन्हीं के पदचिह्नों पर हम भी चलते हुए आगे बढ़ रहे हैं। महाराज जी अगले 100 साल तक के लिए कथक की टेक्निक हम लोगों को दे गए। शायद पूर्व जन्म में मैंने कोई बहुत बड़ा पुण्य किया था, जो कि ऐसे पिता का बेटा बना।’

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code