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शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ‘पढ़े भारत’ अभियान का किया शुभारंभ

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ‘पढ़े भारत’ अभियान का किया शुभारंभ

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नई दिल्ली, 1 जनवरी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार से 100 दिवसीय पठन अभियान ‘पढ़े भारत’ का शुभारंभ किया। इसका उद्देश्‍य देश तथा प्रदेश स्‍तर पर बच्‍चों, शिक्षकों, अभिभावकों, सामुदायिक और शैक्षिक प्रशासकों सहित सभी हितधारकों को अभियान में शामिल करने के साथ विद्यार्थियों के सीखने के स्‍तर में भी सुधार लाना है।

अभियान के तहत बच्‍चों में रचनात्‍मकता, विवेचनात्‍मकता, शब्‍दावली और मौखिक तथा लिखित रूप से अभिव्‍यक्ति की योग्‍यता विकसित की जाएगी। इसे बच्‍चों को अपनी परिस्थितियों और वास्‍तविक जीवन की सच्‍चाईयों को समझने में मदद मिलेगी।

पुस्तक पढ़ना संज्ञानात्मक भाषा एवं सामाजिक कौशल के विकास का शानदार माध्यम

धर्मेंद्र प्रधान ने इस क्रम में एक ट्वीट के जरिए कहा, ‘पुस्तक पढ़ना एक अच्छी आदत है और यह संज्ञानात्मक भाषा एवं सामाजिक कौशल के विकास का शानदार माध्यम है।’ उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नागरिकों को नियमित रूप से पुस्तक पढ़ने के सुझाव से प्रेरित होकर मैं जीवन पर्यंत पुस्तक पढ़ने की आदत विकसित करने को प्रतिबद्ध हूं।’

प्रधान ने अपने ट्वीट के साथ पांच पुस्तकों की सूची भी जारी की, जिन्हें उन्होंने पढ़ने के लिए चुना है। इसमें जेम्स क्लीन रचित एटोमिक हैबिट, रस्किन बांड की अ लिटिल बुक आफ हैप्पीनेस, स्वामी विवेकानंद की रिफ्लेक्शन्स, के. राधानाथ राय की चिल्का और फकीर मोहन सेनापति की प्रायश्चित शामिल है। उन्होंने कहा कि वह हर व्यक्ति खासकर युवाओं को पुस्तक पढ़ने की आदत को अपनाने की अपील करते हैं ।

मनोरंजक अभियान में बालवाटिका से आठवीं कक्षा तक के बच्चे हिस्सा ले रहे

शिक्षा मंत्रालय के अनुसार एक जनवरी से शुरू होकर 10 अप्रैल तक चलने वाले इस अभियान में बालवाटिका से आठवीं कक्षा तक के बच्चे हिस्सा ले रहे हैं। इस अभियान में प्रति समूह प्रति सप्ताह एक क्रियाकलाप को इस तरह तैयार किया गया है कि पढ़ाई मनोरंजक बने और पढ़ाई का आनंद बना रहे।

बयान के अनुसार क्रियाकलापों को, उम्र के अनुसार उपयुक्त साप्ताहिक कैलेंडर सहित पढ़ाई अभियान पर एक व्यापक दिशानिर्देश तैयार कर राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा किया गया है। ये क्रियाकलाप सरल और आनंददायक हैं, जिन्हें घर पर उपलब्ध संसाधनों के साथ तथा स्कूल बंद होने की स्थिति में माता-पिता, साथियों और भाई-बहनों की मदद से आसानी से पूरा किया जा सकता है।

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