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ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : जिला जज 29 अक्टूबर को मौके पर करेंगे निरीक्षण, बदले जाएंगे सीलिंग कपड़े

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : जिला जज 29 अक्टूबर को मौके पर करेंगे निरीक्षण, बदले जाएंगे सीलिंग कपड़े

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वाराणसी, 24 अक्टूबर। वाराणसी स्थित श्री काशी विश्वानाथ धाम से सटे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में वुजूखाने को लेकर चल रहे विवाद में शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण मोड़ आया, जब जिला जज की अदालत ने परिसर के स्थलीय निरीक्षण का फैसला सुनाया। कोर्ट के निर्णय के अनुसर 29 अक्टूबर को पूर्वाह्न 9 बजे वाराणसी के जिला जज, दोनों पक्षों के प्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी ज्ञानवापी परिसर पहुंचकर मौके पर निरीक्षण करेंगे। इस दौरान यह तय किया जाएगा कि वुजूखाने पर लगी कपड़े की सील को बदला जाए या नहीं। अंतिम निर्णय वाराणसी के जिला अधिकारी लेंगे।

जिला अदालत का फैसला उस याचिका के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि वुजूखाने पर लगी सीलिंग का कपड़ा अब खराब हो चुका है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से वुजूखाने के गेट पर ताला लगा हुआ है। इसी ताले के ऊपर सरकारी मुहर लगा कपड़ा लगा था। बारिश के पानी और धूप की वजह से कपड़ा पूरी तरह से गल चुका था। इसी को बदलने को लेकर जिला जज ने आज दोनों पक्षों को बुलवाया था। उसे बदलने की जरूरत बताई गई। इस पर हिन्दू और मुस्लिम दोनों पक्षों ने मौखिक रूप से सहमति जताई है।

2022 में सील हुआ था वुजूखाना

गौरतलब है कि वर्ष 2022 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद के वुजूखाने वाले हिस्से को सील कर दिया गया था। यह वही स्थान है, जहां एएसआई सर्वेक्षण के दौरान शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था। उस समय परिसर में कुल नौ ताले लगाए गए थे और क्षेत्र को अर्धसैनिक बलों की सुरक्षा में रखा गया था। अब, दो वर्षों बाद जब सीलिंग का कपड़ा खराब हो गया है, अदालत से इसे बदलने की अनुमति मांगी गई है ताकि परिसर की सुरक्षा और स्थिति बरकरार रखी जा सके।

सीलिंग का कपड़ा बदलने पर दोनों पक्षों को कोई आपत्ति नहीं

वाराणसी जिला अदालत में इस मामले पर दोपहर बाद करीब तीन बजे हुई सुनवाई के दौरान हिन्दू और मुस्लिम समुदाय ने सीलिंग का कपड़ा बदलने पर कोई आपत्ति नहीं जताई। इसके बाद अदालत ने यह निर्णय लिया कि 29 अक्टूबर को मौके पर जाकर स्थिति का आकलन किया जाएगा। हालांकि, दोनों ही पक्ष ने इस याचिका पर कोई आपत्ति नही की, जिसके बाद जिला जज संजीव शुक्ला ने इसे बदलने की इजाजत जिला प्रशासन को दे दी।

क्या कहता है हिन्दू पक्ष?

हिन्दू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया कि ज्ञानवापी मामला ट्रायल नंबर 18/22 के तहत चल रहा है। एएसआई सर्वे के दौरान वुजूखाना क्षेत्र में एक शिवलिंग मिलने का दावा हुआ था। यह बेहद संवेदनशील मामला है, जो सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। इसलिए जिला प्रशासन ने उस हिस्से को सुरक्षा के दृष्टिकोण से सील कर रखा था। वकील ने कहा, ‘अब सीलिंग का कपड़ा पूरी तरह खराब हो गया है। हमने अदालत से अनुरोध किया है कि इसे बदला जाए ताकि कोई भ्रम या विवाद उत्पन्न न हो।’

क्या है मामला?

उल्लेखनीय है कि ज्ञानवापी विवाद की जड़ अगस्त, 2021 में है, जब पांच हिन्दू महिलाओं ने वाराणसी सिविल कोर्ट में याचिका दायर कर मस्जिद परिसर में स्थित देवी-देवताओं की मूर्तियों की पूजा की अनुमति मांगी थी। इस याचिका के बाद अदालत ने सर्वेक्षण आयोग गठित किया। सर्वे के दौरान, हिन्दू पक्ष ने दावा किया कि वुजूखाना क्षेत्र में एक शिवलिंग मिला जबकि मुस्लिम पक्ष ने उसे फव्वारा बताया।

इसके बाद 12 सितम्बर, 2022 को जिला न्यायालय ने हिन्दू महिलाओं की पूजा की अनुमति से जुड़ी याचिका पर आपत्तियां खारिज कर दी थीं और सुनवाई जारी रखने की अनुमति दी थी। यह आदेश पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के दायरे में बहस का कारण बना क्योंकि यह कानून 15 अगस्त, 1947 तक के धार्मिक स्वरूप को बरकरार रखने की बात कहता है।

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