राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता समाप्त करने की मांग, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने संसदीय समिति के समक्ष दर्ज कराया बयान
नई दिल्ली, 10 मार्च। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस को लेकर एक संसदीय समिति के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया और उनकी लोकसभा की सदस्यता समाप्त करने की मांग की।
उल्लेखनीय है कि बजट सत्र के पहले भाग में राहुल गांधी के भाषण के बाद निशिकांत दुबे ने सात फरवरी को उनके खिलाफ विशेषाधिकार नोटिस दिया था। राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान हिंडनबर्ग-अडाणी मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।
लोकसभा की विशेषाधिकार समिति के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए दुबे ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष द्वारा गांधी की टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से हटाए जाने के बावजूद वे अब भी उनके और कांग्रेस के आधिकारिक यू-ट्यूब चैनलों पर उपलब्ध हैं। भाजपा सांसद सुनील सिंह इस समिति के अध्यक्ष हैं।
राहुल ‘आदतन‘ अपराधी, इसलिए उनकी सदस्यता समाप्त की जाए
निशिकांत दुबे के हवाले से एक सूत्र ने कहा, “न केवल एक बल्कि तीन प्रकार के विशेषाधिकार उन पर लागू होते हैं और वह आदतन ‘अपराधी’ हैं और इसलिए उनकी सदस्यता समाप्त कर दी जानी चाहिए।” भाजपा सांसद ने अपनी बात की पुष्टि के लिए दस्तावेज और रिपोर्ट भी पेश किए और इनके जरिए दावा किया कि गांधी द्वारा लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं और व्यवसायी गौतम अडाणी के विभिन्न सौदे, जिनका उन्होंने (राहुल गांधी)उल्लेख किया था, कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान किए गए थे।
सूत्रों के मुताबिक दुबे ने कहा कि राहुल गांधी ने बिना पूर्व सूचना दिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाए, जो न केवल लोकसभा के सदस्य हैं बल्कि सदन के नेता भी हैं। उन्होंने कहा कि यह लोकसभा के नियमों का उल्लंघन है। राहुल गांधी ने इसी तरह अपने भाषण में कई देशों के शासनाध्यक्षों का नाम लिया, जो नियमों का उल्लंघन भी है।
आरोप – राहुल गांधी लोकसभा अध्यक्ष के अधिकार को चुनौती दे रहे
सूत्रों के अनुसार निशिकांत ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी लोकसभा अध्यक्ष के अधिकार को चुनौती दे रहे हैं क्योंकि उन्होंने अपनी हटाई गई टिप्पणी को अपने यूट्यूब अकाउंट और कांग्रेस पार्टी के अकाउंट पर पोस्ट किया है। दुबे ने राहुल की बर्खास्तगी की अपनी मांग के समर्थन में 1976 में सुब्रमण्यम स्वामी को राज्यसभा से निष्कासित करने का हवाला भी दिया।