नई दिल्ली, 1 अगस्त। संसद के मौजूदा मॉनसून सत्र में विवादास्पद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) विधेयक, 2023 बुधवार को लोकसभा में विचार और पारित होने के लिए आएगा। केंद्र सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में इस बिल को पेश किया, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण से संबंधित अध्यादेश को बदलने की मांग की गई है।
प्रस्तावित कानून ने दिल्ली सरकार और केंद्र को आमने-सामने ला दिया है। इसमें दिल्ली के उप राज्यपाल को दिल्ली सरकार के अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग के संबंध में सिफारिशों पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार देता है, जिसे 25 जुलाई को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी प्रदान की गई थी।
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय द्वारा पेश यह कानून मई में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्रभाव को उलट देगा, जिसने दिल्ली सरकार को प्रशासनिक सेवाओं पर अधिकार दिया था। संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से ही विपक्ष इस अध्यादेश का विरोध कर रहा है।
दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने इस अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। पिछले कुछ महीनों में, केजरीवाल ने देशभर का दौरा किया और विधेयक के खिलाफ समर्थन जुटाने और इसे राज्यसभा में रोकने के लिए विपक्षी नेताओं से मुलाकात की, जहां एनडीए के पास संख्या की कमी है।
लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर चौधरी ने मंगलवार को कहा, ‘यह विधेयक राज्यों के क्षेत्र में सरकार के अपमानजनक उल्लंघन की पुष्टि करता है। यह संघवाद में सहयोग के लिए कब्रिस्तान खोदने के लिए बनाया गया है।’
वहीं इस विधेयक पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में कहा, ‘संविधान ने सदन को दिल्ली राज्य के संबंध में कोई भी कानून पारित करने की शक्ति दी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने साफ कर दिया है कि दिल्ली राज्य को लेकर संसद कोई भी कानून ला सकती है। सारी आपत्ति राजनीतिक है। कृपया मुझे यह बिल लाने की अनुमति दें।’