दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल ने दिया इस्तीफा, व्यक्तिगत कारणों का दिया हवाला
नई दिल्ली, 18 मई। दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल ने इस्तीफा दे दिया है। सरकारी सूत्रों ने बुधवार को जानकारी दी कि बैजल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इस्तीफा सौंप दिया है। उन्होंने अपने इस्तीफे के लिए व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया है।
5 वर्ष 4 माह से अधिक समय तक रहे दिल्ली के एलजी
1969 बैच के आईएएस अधिकारी बैजल कुल पांच वर्ष और चार माह से अधिक समय तक दिल्ली के एलजी रहे। हालांकि उप राज्यपाल के तौर पर उनके कार्यकाल के पांच वर्ष 31 दिसंबर, 2021 को पूरे हो गए थे। लेकिन दिल्ली के उप राज्यपाल का कार्यकाल निश्चित नहीं होता।
एलजी और दिल्ली सरकार के बीच कई मुद्दों पर खटपट होती रही
फिलहाल हालिया वर्षों के दौरान कई मामले में केजरीवाल सरकार से एलजी की टकराव की खबरें आती रही थीं। उन्होंने एक साल पहले दिल्ली सरकार की एक हजार बसों की खरीद प्रक्रिया की जांच को लेकर तीन सदस्यों की एक कमेटी बना दी थी। भारतीय जनता पार्टी लगातार इस मामले में सीबीआई जांच की अपील कर रही थी।
1000 बसों की खरीद प्रक्रिया की जांच को लेकर तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी
उप राज्यपाल ने जो पैनल बनाया था, उसमें एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी, विजिलेंस विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी और दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर शामिल थे। इस मसले पर भी केजरीवाल सरकार से उनकी काफी खटपट हुई थी।
स्वास्थ्य विभाग से जुड़े मामले में सीएम केजरीवाल ने जताई थी नाराजगी
इससे पहले स्वास्थ्य विभाग से जुड़े मामले में भी उप राज्यपाल से सराकर की अनबन हुई थी। मंत्री सत्येंद्र जैन की बजाय खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एलजी अनिल बैजल को चिट्ठी लिखकर सरकारी अस्पतालों में स्टाफ की कमी को पूरा करने की अपील की थी। इस चिट्ठी में केजरीवाल ने यह भी आरोप लगाया था कि एलजी के कहने पर कई अधिकारी स्वास्थ्य मामलों से जुड़ी फाइल छुपा रहे हैं या किसी भी मंत्री को देने से इनकार कर रहे हैं। परेशान होकर सीएम केजरीवाल ने यह मांग रखी कि अब खुद एलजी ही अस्पतालों में खाली पड़े पदों को जल्द से जल्द भरें।
कानून विभाग से जुड़े एक मामले पर मनीष सिसोदिया ने भी लगाया था आरोप
कानून विभाग से जुड़ा एक मामला भी सामने आया था। तब उप राज्यपाल बैजल को उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने चिट्ठी लिखकर फाइल और फैसले छुपाने का आरोप लगाया था। डिप्टी सीएम के सरकारी नोट में लिखा गया था कि दिल्ली सरकार के लिए स्टैंडिंग काउंसिल और एडिशनल स्टैंडिंग काउंसिल की नियुक्तियों के लिए उनकी राय नहीं ली गई।
सिसोदिया का आरोप था कि अधिकारी एलजी के आदेश के कारण फाइल नहीं दिखा रहे। इसके बाद सिसोदिया ने कानून विभाग के मंत्री के तौर पर टिप्पणी के लिए एलजी से दोबारा फाइल मांगी थी।
देखा जाए तो उप राज्यपाल की भूमिका दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और केंद्र में वर्षों से सत्तारूढ़ भाजपा के बीच सत्ता संघर्ष के केंद्र में थी। हालांकि बाद में सर्वोच्च न्यायालय का एक ऐतिहासिक फैसला आया, जिसमें उप राज्यपाल की शक्तियों का और अधिक स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था।
कई प्रतिष्ठित पदों पर रह चुके हैं अनिल बैजल
अनिल बैजल इससे पहले वे कई प्रतिष्ठित पदों पर रह चुके हैं। तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के तहत केंद्रीय गृह सचिव रहे बैजल अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के मुख्य सचिव, सूचना और प्रसारण मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और नागरिक उड्डयन मंत्रालय में संयुक्त सचिव, इंडियन एयरलाइंस के अध्यक्ष और एमडी, प्रसार भारती के सीईओ, गोवा के विकास आयुक्त एवं दिल्ली के आयुक्त (बिक्री कर और उत्पाद शुल्क) सहित कई अहम पदों पर भी रहे हैं। डीडी भारती की शुरुआत के लिए भी उनकी अहम भूमिका मानी जाती है।