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दिल्ली-NCR में पुराने वाहनों के प्रतिबंध के फैसले पर दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की पुनर्विचार याचिका

दिल्ली-NCR में पुराने वाहनों के प्रतिबंध के फैसले पर दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की पुनर्विचार याचिका

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नई दिल्ली, 26 जुलाई। राष्ट्रीय राजधानी में रेखा गुप्ता की अगुआई वाली भाजपा सरकार ने वायु प्रदूषण के मद्देनजर दिल्ली की आबोहवा बेहतर बनाने के उद्देश्य से 10 वर्ष पुराने डीजल और 15 वर्ष पुराने पेट्रोल गाड़ियों के परिचालन पर प्रतिबंध के फैसले पर पुनर्विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

दिल्ली के लाखों लोगों ने, जिनके पास पुराने वाहन हैं, उम्मीद लगा रखी थे कि नई सरकार ठीक तरह से अपना पक्ष सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखेगी। लेकिन अब तक इस दिशा में कोई रियायत नहीं मिलता देख दिल्ली सरकार ने कोर्ट में याचिका दायर की है।

प्रदूषण का पैमाना गाड़ी की उम्र से नहीं बल्कि चलने से तय हो – सिरसा

सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार की जनहित याचिका पर पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि मामले की सुनवाई सोमवार को है। दिल्ली में बहुत सारी ऐसी गाड़ियां हैं, जिनकी उम्र ज्यादा है, लेकिन उनका प्रदूषण स्तर बहुत कम है क्योंकि वो चली कम हैं। वहीं ढेरों नई गाड़ियां भी हैं, जिनकी उम्र कम है, लेकिन वे चली ज्यादा हैं। उनका मानना है कि प्रदूषण का पैमाना गाड़ी की उम्र से नहीं बल्कि चलने से तय होना चाहिए। ऐसी सारी बातें सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आगे रखी हैं। साथ ही बदली परिस्थितियों के बारे में जानकारी दी है।

दिल्ली सरकार की जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि वह केंद्र सरकार और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को आयु-आधारित प्रतिबंध के वास्तविक पर्यावरणीय लाभों का मूल्यांकन करने के लिए वैज्ञानिक अध्ययन करने का निर्देश दें। इसमें वाहन की श्रेणियों और तकनीक के आधार पर प्रतिबंध का भी आकलन करने की मांग की गई है।

जनता का पक्ष रखना हमारा दायित्व – सीएम रेखा गुप्ता

इस क्रम में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा, ‘जनता का पक्ष रखना हमारा दायित्व है। पिछली सरकारों ने पर्यावरण पर कोई काम नहीं किया और जनता को मरने दिया। हम पर्यावरण पर पूरी तरह से सजग हैं, सरकार लगातार काम कर रही है। दिल्ली को बेहतर वातावरण देने के हर संभव प्रयास हो रहे हैं। हम चाहते हैं कि कोर्ट इस पर संज्ञान ले। यदि कोई गाड़ी प्रदूषण कर रही है तो पांच साल में भी उसे बंद कर देना चाहिए। यदि गाड़ी प्रदूषण नहीं कर रही है तो उस पर कोई पाबंदी नहीं होनी चाहिए। सरकार ने अपना पक्ष कोर्ट में रखा है। मैं समझती हूं कि कोर्ट इसका संज्ञान लेगा और दिल्ली की जनता को उनके अधिकार देगा।’

दूसरे देशों में पुराने वाहनों को लेकर नियमों की दलील

याचिका में यह भी बताया गया है कि जापान, अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे देश सिर्फ़ वाहनों की उम्र के आधार पर उन पर व्यापक प्रतिबंध नहीं लगाते। इसके बजाय वे प्रदूषण उत्सर्जन को लेकर निर्धारित नीतियों का पालन करते हैं, जो वास्तविक उत्सर्जन का आकलन करती हैं और नियमित परीक्षण के ज़रिए सड़क पर चलने की योग्यता पर ध्यान केंद्रित करती हैं।

दिल्ली में करीब 61 लाख वाहन उम्र पूरी कर चुके हैं

ज्ञातव्य है कि दिल्ली में करीब 61 लाख वाहन ऐसे हैं, जो उम्र पूरी कर चुके हैं। इनमें 18 लाख कारें हैं। हर कोई नई गाड़ी खरीदने में असमर्थ हैं। ऐसे में वाहनों को फिटनेस के आधार पर पांच साल तक और चलाने की अनुमति देने की मांग उठ रही है। दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण (PUC) मानदंडों के सख्त पालन के लिए वर्ष 2025 में अब तक 163 लाख से ज्यादा चालान काटे जा चुके हैं, जो 2021 में 29,589 थे।

 

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