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मणिपुर हिंसा पर राज्यसभा में गतिरोध बरकरार, विपक्ष ने किया बहिर्गमन

मणिपुर हिंसा पर राज्यसभा में गतिरोध बरकरार, विपक्ष ने किया बहिर्गमन

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नई दिल्ली, 3 अगस्त। मणिपुर में हिंसा के मुद्दे पर चर्चा को लेकर अपने नोटिस के स्वीकार नहीं किए जाने पर बृहस्पतिवार को विपक्षी सदस्यों ने राज्यसभा से बहिर्गमन किया विपक्षी सदस्यों ने सूचीबद्ध कामकाज को स्थगित कर मणिपुर मुद्दे पर चर्चा शुरू करने के लिए नोटिस दिए थे। उच्च सदन की सुबह बैठक शुरू होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए।

इसके बाद उन्होंने कहा कि उन्हें मणिपुर की स्थिति पर चर्चा की मांग के लिए नियम 267 के तहत 37 नोटिस मिले हैं जबकि एक नोटिस मणिपुर और हरियाणा में हिंसा को लेकर और एक महिला आरक्षण को लेकर है। सभापति ने कहा कि मणिपुर मुद्दे पर चर्चा के लिए उन्होंने पहले ही व्यवस्था दी थी और सरकार भी चर्चा के लिए तैयार थी। व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि मणिपुर मुद्दे को लेकर जारी गतिरोध से ऐसा महौल बना है कि अहंकार और घमंड चर्चा की राह में आड़े आ रहे हैं।

उन्होंने सदन के नेता से इसका समाधान निकालने की अपील की और कहा कि गतिरोध से किसी का भला नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर के प्रति संवेदना दिखाने की आवश्यता है। इसलिए हमें एक राष्ट्र की भावना से मणिपुर पर चर्चा करनी चाहिए।’’ धनखड़ ने कहा कि मणिपुर पर निश्चित तौर पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नियम 176 के तहत इस मुद्दे पर मिले नोटिस स्वीकार कर लिए गए थे लेकिन इस पर चर्चा शुरु नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि यह ऐसा मुद्दा है जिस पर आरोप-प्रत्यारोप नहीं की जानी चाहिए।

सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि मणिपुर के मुद्दे पर सरकार अति सक्रिय रही है और सदन को पूर्वोत्तर के इस राज्य को शांति और सद्भाव का संदेश देना चाहिए। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि ओ’ब्रायन ने इस मुद्दे पर चर्चा कराने की अपील की है। गोयल ने कहा कि वह इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री से चर्चा कर समय लेंगे और फिर उसके अनुरुप सदन में आगे का रास्ता अख्तियार किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘ कल को भूलकर हमें इस मुद्दे पर आगे बढ़ना चाहिए।’’

इसके बाद धनखड़ ने कहा कि वह एक बजे सदन के नेताओं से अपने कक्ष में मिलेंगे और गतिरोध को दूर कर चर्चा शुरु कराने के विषय में बातचीत करेंगे। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि वह नियम 267 के तहत लगातार नोटिस दे रहे हैं और इनमें हर बार स्पष्ट किया है कि क्यों इसे स्वीकार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि यह प्रतिष्ठा का विषय बन गया है।

उन्होंने आसन से आग्रह किया कि चूंकि सभापति ने अपने कक्ष में सदन के नेताओं की बैठक बुलाई है, इसलिए सदन की कार्यवाही फिलहाल स्थगित कर दी जाए और फिर चर्चा करने के बाद सदन में सभी मिलें। इसी दौरान खरगे ने सभापति पर प्रधानमंत्री का बचाव करने का आरोप लगाया। खरगे की इस टिप्पणी पर सत्ता पक्ष के कुछ सदस्यों ने आपत्ति जताई।

धनखड़ ने विपक्ष के नेता की टिप्पणी का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘मुझे प्रधानमंत्री का बचाव करने की आवश्यकता नहीं है। देश ने तीन दशकों तक गठबंधन की सरकार देखी और फिर उसके बाद 2014 और 2019 के चुनाव के नतीजे सामने हैं। अमेरिकी कांग्रेस में प्रधानमंत्री को जो सम्मान मिला वह गौरव का विषय है। भारत का आज जो उदय हो रहा है वह पहले कभी नहीं हुआ।’’

धनखड़ ने खरगे की टिप्पणी पर आपत्ति जताई और कहा कि विपक्ष के नेता से ऐसी टिप्पणी की अपेक्षा नहीं की जाती है। इसी समय विपक्ष के सदस्यों ने हंगामा शुरु कर दिया। हंगामे के बीच ही भाजपा के सुमेर सिंह सोलंकी ने लोक महत्व के विषय के तहत अपना मुद्दा शुरु किया। इसी दौरान हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए।

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