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ट्रंप के टैरिफ को लेकर CTI ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, कहा- तबाह हो जाएंगे कई सेक्टर, खतरे में लाखों नौकरियां!

ट्रंप के टैरिफ को लेकर CTI ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, कहा- तबाह हो जाएंगे कई सेक्टर, खतरे में लाखों नौकरियां!

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नई दिल्ली, 28 अगस्त। चेंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर कहा है कि अमेरिका का भारत पर लगाया गया 50 परसेंट टैरिफ देश के कई बड़े उद्योगों को तबाह कर सकता है। इससे लाखों की तादात में भारतीयों की आजीविका को खतरे में पड़ सकती है।

  • अमेरिका में महंगे हो जाएंगे भारतीय सामान

CTI के चेयरमैन बृजेश गोयल ने कहा, 50 परसेंट अमेरिकी टैरिफ का भारत के टेक्सटाइल, लेदर, रत्न एवं आभूषण, ऑटो कॉम्पोनेंट, केमिकल, फार्मा, सीफूड इंडस्ट्री, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी तमाम इंडस्ट्रीज पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने बताया कि बढ़े हुए टैरिफ के चलते अमेरिकी बाजार में भारतीय सामान अन्य प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले 35 परसेंट तक महंगा हो जाएगा, जिससे खरीदार दूसरे देशों में बनी चीजों को प्राथमिकता देंगे।

  • एक्सपोर्ट पर पड़ेगा तगड़ा असर

CTI के मुताबिक, टैरिफ के इस कदर बढ़ने से 48 अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा मूल्य के भारतीय निर्यात पर असर पड़ सकता है। इंजीनियरिंग गुड्स जैसे सेक्टर, जिनका पिछले साल 1.7 लाख करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था, पर भारी असर पड़ने की आशंका है। इसी तरह, 90,000 करोड़ रुपये के रत्न और आभूषण निर्यात और भारत के तेजी से बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात पर भी गंभीर संकट मंडरा रहा है।

जिन उत्पादों पर पहले 10 परसेंट टैरिफ लगता था, अब उन पर 50 परसेंट टैरिफ लगेगा, जिससे अमेरिकी खरीदारों की लागत में भारी इजाफा होगा। पिछले साल 92,000 करोड़ रुपये मूल्य के दवा निर्यात को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। पहले जो दवाइयां अमेरिका में ड्यूटी फी थी, अब उनकी कीमत 50 परसेंट तक बढ़ जाएगी, जिससे भारतीय दवा कंपनियां वियतनाम जैसे दूसरे सप्लायर के मुकाबले घाटे में रहेंगी।

  • अमेरिका को देना होगा कड़ा जवाब

हालांकि, इन नुकसानों के बावजूद CTI की सरकार को सलाह है कि भारत को भी अमेरिका पर जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए। अमेरिकी वस्तुओं पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाकर अमेरिका को कड़ा जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा, “भारत को इस दबाव से नहीं डरना चाहिए। हमें अमेरिकी आयात पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिए और साथ ही जर्मनी, ब्रिटेन, सिंगापुर और मलेशिया जैसे देशों में नए बाजार तलाशने चाहिए, जहां इंजीनियरिंग वस्तुओं की मांग बढ़ रही है. हमें जवाबी शुल्क लगाकर अमेरिका को सबक सिखाना होगा।”

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