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कोविड-19 दवा भंडारण मामला : गौतम गंभीर फाउंउेशन और ‘आप’ के 2 विधायकों के खिलाफ चल रहा मुकदमा

कोविड-19 दवा भंडारण मामला : गौतम गंभीर फाउंउेशन और ‘आप’ के 2 विधायकों के खिलाफ चल रहा मुकदमा

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नई दिल्ली, 17 जुलाई। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोविडरोधी दवाओं के अवैध भंडारण और वितरण के आरोप में दिल्ली औषधि नियंत्रण विभाग (डीडीसीडी) ने भाजपा सांसद गौतम गंभीर के फाउंडेशन तथा आम आदमी पार्टी (आप) के दो विधायकों – इमरान हुसैन और प्रवीण कुमार के खिलाफ एक अदालत में मुकदमा दायर कर रखा है। डीडीसीडी ने दिल्ली हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है।

फाउंडेशन के ट्रस्टियों में गौतम गंभीर भी शामिल

डीडीसीडी ने स्थिति रिपोर्ट के रूप में अपने जवाब में कहा, ‘जांच टीम की छानबीन के आधार पर अदालत में गौतम गंभीर फाउंडेशन, इसके ट्रस्टियों और सीईओ के खिलाफ औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम, 1940 की धारा 27 (बी) (2) के साथ धारा 18 (सी) के प्रावधानों के तहत गत आठ जुलाई को मुकदमा शुरू किया गया। और पूर्वी दिल्ली के भाजपा सांसद गौतम गंभीर इस फाउंडेशन के ट्रस्टियों में एक हैं।

स्थिति रिपोर्ट उस जनहित याचिका पर दायर की गई, जिसमें आम मरीजों के जरूरी दवाओं के लिए दर-दर भटकते रहने के बावजूद नेताओं द्वारा बड़ी मात्रा में कोविड-19 रोधी दवाएं खरीदे जाने और वितरित किए जाने को लेकर प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया गया था।

डीडीसीडी के जवाब में कहा गया है कि गंभीर और कुमार के खिलाफ रोहिणी अदालत में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रीतु राज के समक्ष यह मुकदमा दायर किया गया है। हुसैन भी इन्हीं अपराधों के तहत मुकदमे का सामना कर रहे हैं। उनपर आरोप है कि उन्होंने भी आवश्यक लाइसेंस लिए बिना मेडिकल ऑक्सीजन का कथित रूप से भंडारण और वितरण किया।

10 दिनों के लिए निलंबित किए गए थे बिक्री लाइसेंस

विभाग ने यह भी बताया कि स्पष्टीकरण का मौका देने के बाद, गौतम गंभीर फाउंडेशन को चिकित्सा शिविर चलाने के लिए कोविड-19 रोधी दवा फैवीपिराविर एवं मेडिकल ऑक्सीजन बेचने वाले डीलरों और खुदरा विक्रेताओं के बिक्री लाइसेंस कानूनी प्रावधानों के उल्लंघन के आरोप में 10 दिनों के लिए निलंबित कर दिए गए थे।

कम से कम तीन वर्ष तक की सजा का प्रावधान

ज्ञातव्य है कि धारा 18 (सी) बिना लाइसेंस के दवा उत्पादन, इसकी बिक्री और वितरण पर रोक लगाती है तथा धारा 27 (बी) (2) में इस अपराध के लिए कम से कम तीन या अधिकतम पांच वर्ष के कारावास और जुर्माने का प्रावधान है।

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