भारत में कोरोना – दूसरी लहर के लिए ‘डेल्टा’ वैरिएंट ही असल कारक, ‘अल्फा’ से 50% ज्यादा संक्रामक
नई दिल्ली, 4 जून। भारतीय वैज्ञानिकों ने एक शोध से निष्कर्ष निकाला है कि देश में कोविड-19 की दूसरी लहर का मुख्य कारक इस वायरस का डेल्टा वैरिएंट (बी.1.617) है। इस वैरिएंट और इसके सब-लीनिएज (बी.1.617.2) के चलते ही दूसरी लहर में दैनिक आधार पर चार लाख से भी ज्यादा केस तक दर्ज किए गए। शोध में यह भी पाया गया है कि डेल्टा वैरिएंट पिछले वर्ष मिले अल्फा वेरिएंट (B.1.1.7) से 50% ज्यादा संक्रामक है।
नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) और भारत में जीनोम सीक्वेंसिंग करने वाली प्रयोगशालाओं के संघ (आईएनएसएसीओजी) के वैज्ञानिकों ने यह शोध किया है। शोध के अनुसार ब्रिटेन में मिले अल्फा वैरिएंट के मुकाबले डेल्टा वैरिएंट 50% ज्यादा तेजी से फैलता है। जांच किए गए नमूनों में डेल्टा वैरिएंट का प्रतिशत जनवरी के मुकाबले फरवरी में 20 प्रतिशत और मार्च में 40% तक बढ़ गया था।
पॉजिटिविटी रेट के साथ ही बढ़ने लगा बी.1.617.2 का दायरा
डेल्टा वैरिएंट के सब-लीनिएज बी.1.617.2 में ई484क्यू म्यूटेशन नहीं था, लेकिन टी478के आ गया। नमूनों में इसकी मात्रा सबसे ज्यादा पाई गई है। पॉजिटिविटी रेट बढ़ने के साथ ही इसका प्रतिशत भी बढ़ता चला गया। अध्ययन में कहा गया है कि अल्फा वैरिएंट में संक्रमित मरीजों की मृत्यु दर डेल्टा के मुकाबले ज्यादा थी। हालांकि रिसर्च से यह भी पता चला है कि अभी मृत्यु दर में बदलाव के बी.1.617.2 से सीधे जुड़ाव के प्रमाण नहीं मिले हैं।
भारत में मिला वैरिएंट अब 60 से ज्यादा देशों में फैल चुका है
बी.1.617 का पहला मामला पिछले वर्ष अक्टूबर में महाराष्ट्र से सामने आया था। इसे ‘डबल म्यूटेशन’ वैरिएंट कहा गया। ‘डबल म्यूटेशन’ का मतलब वायरस के स्पाइक प्रोटीन में आए दो बदलावों ई484क्यू और एल452आर से है। लेकिन इस वैरिएंट के सब-लीनिएज बी.1.617.2 में ई484क्यू म्यूटेशन नहीं है। अब तक यह वैरिएंट दुनिया के 60 से ज्यादा देशों में फैल चुका है।