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विदेश मंत्रालय के बयान पर कांग्रेस का सवाल – क्या चीन के साथ सीमा विवाद सुलझ गया

विदेश मंत्रालय के बयान पर कांग्रेस का सवाल – क्या चीन के साथ सीमा विवाद सुलझ गया

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नई दिल्ली, 28 जुलाई। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा जी 20 शिखर सम्मेलन के दौरान एक दूसरे का अभिवादन स्वीकार किए जाने संबंधी विदेश मंत्रालय के बयान को लेकर शुक्रवार को सवाल किया कि क्या बीजिंग के साथ सीमा विवाद सुलझ गया है?

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सरकार से यह भी पूछा कि क्या क्या आख़िरकार चीनी सैनिक डेपसांग और डेमचोक से पीछे हट जाएंगे? विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पिछले वर्ष बाली में जी20 शिखर सम्मेलन में एक रात्रि भोज के दौरान एक-दूसरे का अभिवादन स्वीकार किया और द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर बनाए रखने की आवश्यकता पर बातचीत की थी।

रमेश ने शुक्रवार को ट्वीट कर दावा किया, ‘‘19 जून 2020 को प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक रूप से चीन को क्लीन चिट दी थी। उसके बाद से मोदी सरकार चीन को लेकर कठोर कदम उठाने की बात करती रही है। सरकार बार-बार यह दिखाने का प्रयास करती रही है कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच किसी भी तरह की सार्थक बातचीत या समझौता नहीं हुआ है, जब से चीनी सैनिक पिछले एलएसी समझौतों का उल्लंघन कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘16 नवंबर 2022, को मोदी सरकार ने बाली में दोनों नेताओं के बीच रात्रिभोज पर हुई बातचीत को भी सिर्फ शिष्टाचार मुलाक़ात के रूप में दर्शाया था। लेकिन 25 जुलाई 2023, को चीनी विदेश मंत्रालय के एक बयान में बाली में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बनी “महत्वपूर्ण सहमति” का उल्लेख किया गया।’’

रमेश ने सवाल किया, ‘‘27 जुलाई को, हमारे विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि बाली में दोनों नेताओं के बीच शिष्टाचार मुलाक़ात के अलावा भी बहुत कुछ हुआ था। क्या यह सहमति है या प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चीन को दी गई छूट? क्या चीनी सैनिक आख़िरकार डेपसांग और डेमचोक से पीछे हट जाएंगे जहां उन्होंने तीन साल से भी अधिक समय से भारतीय जवानों को गश्त करने से रोक रखा है?’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस बीच, दोनों देशों के आर्थिक रिश्ते भी ऐसे आगे बढ़ते दिख रहे हैं जैसे अप्रैल 2020 के बाद से लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीनी घुसपैठ कभी हुई ही नहीं है। क्या यही प्रधानमंत्री की “लाल आंख” का नतीजा है?’’

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