1. Home
  2. हिन्दी
  3. राजनीति
  4. सुप्रीम कोर्ट को लेकर निशिकांत दुबे की टिप्पणी पर भड़की कांग्रेस, कहा – अराजक भाषा लोकतंत्र के लिए खतरनाक
सुप्रीम कोर्ट को लेकर निशिकांत दुबे की टिप्पणी पर भड़की कांग्रेस, कहा – अराजक भाषा लोकतंत्र के लिए खतरनाक

सुप्रीम कोर्ट को लेकर निशिकांत दुबे की टिप्पणी पर भड़की कांग्रेस, कहा – अराजक भाषा लोकतंत्र के लिए खतरनाक

0
Social Share

नई दिल्ली, 19 अप्रैल। उप राषट्रपति जगदीप धनखड़ के बाद भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के संदर्भ में ऐसी टिप्पणी कर दी, जिसपर कांग्रेस भड़क उठी। मुख्य विपक्षी दल ने इसके बाद आरोप लगा दिया कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) देश के सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करने में लगी हुई है और उन अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश कर रही है, जो संविधान ने शीर्ष अदालत को दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करने में लगी है भाजपा – जयराम रमेश

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने संवाददाताओं से कहा, ‘भाजपा सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करने में लगी हुई है। संवैधानिक पद पर बैठे लोग उच्चतम न्यायालय के खिलाफ बोल रहे हैं, मंत्री उच्च न्यायालय के खिलाफ बोल रहे हैं और अब भाजपा के सांसद भी उच्चतम न्यायालय के खिलाफ बोल रहे हैं।’

रमेश ने आरोप लगाया कि अलग-अलग आवाज आ रही है और उच्चतम न्यायालय को निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने कई मुद्दों पर सरकार के कदम को असवैधानिक बताया है। उनके मुताबिक, उच्चतम न्यायालय का सिर्फ यह कहना है कि जब आप कानून कानून बनाते हैं तो संविधान के मौलिक ढांचे के खिलाफ मत जाइए। कांग्रेस पार्टी चाहती है कि उच्चतम न्यायालय स्वतंत्र और निष्पक्ष बना रहे और संविधान में जो उसको अधिकार दिए गए हैं, उसका सम्मान हो।

पवन खेड़ा बोले – ये सब मोदी जी की मूक सहमति से हो रहा है

वहीं, कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने निशिकांत दुबे के बयान पर निशाना साधते हुए कहा कि न इनकी संविधान में आस्था है, ना इनका न्यायपालिका में विश्वास है। भाजपा के सांसद की ये अराजक भाषा लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक है। ये सब मोदी जी की मूक सहमति से हो रहा है।

निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर धार्मिक युद्ध भड़काने का लगाया आरोप

इससे पहले आज दिन में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया था कि देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट को कानून बनाना है तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए। दुबे ने कहा, “शीर्ष अदालत का एक ही उद्देश्य है मुझे चेहरा दिखाओ, मैं तुम्हें कानून दिखाऊंगा। सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमाओं से परे जा रहा है। अगर हर चीज के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ता है तो संसद और राज्य विधानसभा को बंद कर देना चाहिए।’

यह SC ही है, जिसने समलैंगिकता को अपराध मानने से इनकार दिया था

निशिकांत दुबे ने कहा, ‘अनुच्छेद 377 था, जिसमें समलैंगिकता को बहुत बड़ा अपराध माना गया था। ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि इस दुनिया में केवल दो लिंग हैं, या तो पुरुष या महिला…चाहे वह हिन्दू हो, मुस्लिम हो, बौद्ध हो, जैन हो या सिख हो, सभी मानते हैं कि समलैंगिकता एक अपराध है। एक सुबह, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले को खत्म करते हैं…अनुच्छेद 141 कहता है कि हम जो कानून बनाते हैं, जो फैसले देते हैं, वे निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लागू होते हैं।’

सुप्रीम कोर्ट को सिर्फ कानून की व्याख्या करने का अधिकार

भाजपा सांसद ने आगे कहा कि अनुच्छेद 368 कहता है कि संसद को सभी कानून बनाने का अधिकार है और सुप्रीम कोर्ट को कानून की व्याख्या करने का अधिकार है। शीर्ष अदालत राष्ट्रपति और राज्यपाल से पूछ रही है कि वे बताएं कि उन्हें विधेयकों के संबंध में क्या करना है। जब राम मंदिर या कृष्ण जन्मभूमि या ज्ञानवापी की बात आती है, तो आप (सुप्रीम कोर्ट) कहते हैं, हमें कागज दिखाओ। मुगलों के आने के बाद जो मस्जिद बनी है उनके लिए कहते हैं कि कागज कहां से दिखाएंगे।

जब संसद बैठेगी तो इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा होगी

दुबे ने कहा, ‘आप नियुक्ति प्राधिकारी को कैसे निर्देश दे सकते हैं? राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं। संसद इस देश का कानून बनाती है। आप उस संसद को निर्देश देंगे?…आपने नया कानून कैसे बना दिया? किस कानून में लिखा है कि राष्ट्रपति को तीन महीने के भीतर फैसला लेना है? इसका मतलब है कि आप इस देश को अराजकता की ओर ले जाना चाहते हैं। जब संसद बैठेगी तो इस पर विस्तृत चर्चा होगी।’

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code