सीएम योगी आगरा में बोले – महाकुम्भ में अब तक 62 करोड़ श्रद्धालुओं का पहुंचना सदी की एक दुर्लभतम घटना
आगरा, 23 फरवरी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि प्रयागराज के महाकुम्भ में अब तक 62 करोड़ श्रद्धालु आ चुके हैं और एक निश्चित कालखंड के दौरान इतनी बड़ी संख्या में लोगों का एकत्र होना अपने आप में सदी की दुर्लभतम घटनाओं में से एक है।
आगरा में ‘यूनिकॉर्न कम्पनीज कॉन्क्लेव’ (यूनिकॉर्न कम्पनियों का सम्मेलन) में मुख्यमंत्री योगी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘मैं इसे स्टार्टअप की दुनिया का यूनिकॉर्न महाकुम्भ कह सकता हूं। इस समय महाकुम्भ के प्रति आकर्षण है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे लिए यह महत्वपूर्ण है। आज जब मैं ब्रज भूमि में आया हूं, जिसके पीछे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि रही है। लंबे काल खंड से इसने भारत की सभ्यता और संस्कृति को प्रभावित किया है। योगी ने कहा कि कल ही प्रयागराज से आया और आज इस ‘कॉन्क्लेव’ के बाद मुझे पुन: प्रयागराज पहुंचना है।’’
जनपद आगरा में आयोजित यूनिकॉर्न कंपनीज के कॉन्क्लेव में… https://t.co/DQT9db6Vim
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) February 23, 2025
मुख्यमंत्री योगी ने महाकुम्भ में इस बार आने वाले श्रद्धालुओं की चर्चा करते हुए कहा कि प्रयागराज महाकुम्भ में अब तक 62 करोड़ श्रद्धालु आ चुके हैं। योगी ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि दुनिया के अंदर किसी भी आयोजन (चाहे वह आध्यात्म से जुड़ा हो या किसी भी तरह के पर्यटन से संबंधित हो) में एक निश्चित कालखंड के दौरान इतनी बड़ी संख्या में लोगों का एकत्र होना और उस आयोजन के साथ एकजुट होना, अपने आप में सदी की दुर्लभतम घटनाओं में से एक है।’’
इस पर खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि उप्र में उनकी सरकार को इसे आयोजित करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। मुख्यमंत्री और प्रसिद्ध गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘जब कुम्भ की बात करते हैं तो कुंभ का इतिहास हमें इस बात पर सोचने के लिए मजबूर करता है कि भारत में प्राचीन काल से इस तरह के आयोजन की व्यवस्था थी। इसमें उप्र के प्रयागराज, उत्तराखंड के हरिद्वार, मध्य प्रदेश के उज्जैन और महाराष्ट्र के नासिक (त्र्यंबकेश्वर) समेत चार पवित्र स्थानों पर कुम्भ का आयोजन होता है।’
इसकी पृष्ठभूमि में जाते हुए योगी ने कहा कि यह सोचा गया होगा कि जब एक समय ऐसा भी आएगा कि भारत का व्यक्ति अपनी परंपरा और अपनी संस्कृति से कटा हुआ महसूस करेगा तो उन्हें जोड़ने का कुम्भ माध्यम बनेगा।
