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ASI सर्वे रिपोर्ट में दावा : ज्ञानवापी की जगह कभी हिन्दू मंदिर था, दीवारों और खंभों से मिले सबूत

ASI सर्वे रिपोर्ट में दावा : ज्ञानवापी की जगह कभी हिन्दू मंदिर था, दीवारों और खंभों से मिले सबूत

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वाराणसी, 25 जनवरी। वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई है। हिन्दू और मुस्लिम पक्षों के साथ ही कुल नौ लोगों ने रिपोर्ट की प्रति के लिए वाराणसी कोर्ट में आवेदन किया है। इस क्रम में पांच लोगों को सर्वे रिपोर्ट की एक-एक प्रति दी गई है।

839 पृष्ठों की रिपोर्ट में वुजूखाना को छोड़कर हर कोने का ब्योरा

इस बीच हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन ने दावा किया कि रिपोर्ट के अनुसार ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार हिन्दू मंदिर का हिस्सा है। अंदर के पिलर भी हिन्दू मंदिर के खंभे थे, जिन्हें बाद में प्लास्टर आदि से थोड़ा बदला गया है। 839 पृष्ठों की रिपोर्ट में वुजूखाना को छोड़कर हर कोने का एक-एक ब्योरा है। ज्ञानवापी की दीवारों से लेकर शिखर तक का ब्योरा एएसआई ने इसमें लिखा है। ज्ञानवापी के अंदर एएसआई को क्या-क्या मिला और क्या-क्या दिखा, इसके बारे में विस्तार से बताया गया है। जो वस्तुएं यहां से मिलीं थी, उसे पहले ही प्रशासन की कस्टडी में दिया जा चुका है।

वर्तमान संरचना के निर्माण से पहले यहां एक बड़ा हिन्दू मंदिर मौजूद था

विष्णु जैन ने दावा  किया कि एएसआई की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान संरचना के निर्माण से पहले यहां एक बड़ा हिन्दू मंदिर मौजूद था। रिपोर्ट कहती है कि पहले से यहां पर एक मंदिर की संरचना मौजूद थी। इस मंदिर में एक बड़ा केंद्रीय कक्ष और उत्तर की ओर एक छोटा कक्ष था। जो पहले मंदिर था, उसे  17वीं शताब्दी में तोड़ा गया है। बाद में उसके ही हिस्से को मस्जिद में समाहित किया गया है। मौजूदा ढांचे में इस्तेमाल किए गए खंभों और प्लास्टर का अध्ययन किया गया। इन स्तंभों के हिस्सों का उपयोग बिना ज्यादा बदलाव के इस्तेमाल किया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया – 1669 में मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाया गया

जैन के अनुसार एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 1669 में मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाया गया है। वर्तमान ढांचे को मंदिर के ही अवशेष पर बनाया गया है। गुंबद साढ़े तीन सौ साल ही पुराना है। कई स्थानों पर मंदिर के अवशेष मिले हैं। कई पिलर पर देवी-देवताओं के चित्र मिले हैं। देवनागरी और संस्कृत में कई श्लोक लिखे हैं। नागर शैली के कई ऐसे निशान मिले हैं, जो बताते हैं कि एक हजार साल पुराने हैं जबकि मस्जिद केवल साढ़े तीन सौ साल पुरानी है। उन्होंनें कहा कि अब उनकी कोशिश होगी कि वुजूखाने का भी सर्वे कराया जाए। इसके लिए अदालत में अपील की जाएगी।

लगभग 3 माह तक सर्वे के बाद ASI ने 18 दिसम्बर को अदालत में दाखिल की थी रिपोर्ट

गौरतलब है कि ज्ञानवापी के वुजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर का लगभग तीन महीने तक एएसआई ने सर्वे किया था। गत माह 18 दिसम्बर को रिपोर्ट जिला अदालत में दाखिल की गई थी। उसी दिन हिन्दू पक्ष ने रिपोर्ट की प्रति मांगी थी, लेकिन मुस्लिम पक्ष की आपत्ति और एएसआई के चार हफ्ते के बाद ही रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की अपील के कारण मामला टल गया था। बुधवार को दोबारा सुनवाई हुई और अदालत ने रिपोर्ट की प्रति सभी पक्षों को देने का आदेश दे दिया।

इसके बाद गुरुवार को दोनों पक्षों के साथ ही नौ लोगों ने रिपोर्ट की प्रति के लिए आवेदन किया। इनमें हिन्दू पक्ष की पांच वादी महिलाएं, मुस्लिम पक्ष यानी प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के साथ ही प्रदेश सरकार और डीएम की ओर से प्रति के लिए आवेदन किया गया। सभी पक्ष और अधिवक्ता रिपोर्ट के लिए जिला जज की कोर्ट रूम में सुबह ही पहुंच गए थे।

फिलहाल रिपोर्ट की पांच प्रति कराई गई और हिन्दू पक्ष की वादी राखी सिंह की ओर से अधिवक्ता अनुपम दिवेदी, अन्य चार महिला वादियों की ओर से अधिवक्ता विष्णु जैन, मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता अख्लाख अहमद के अलावा प्रशासन और शासन के लिए दो प्रति डीजीसी सिविल महेंद्र पांडे को दी गई।

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