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CJI न्यायमूर्ति गवई बोले – ‘भारतीय लोकतंत्र की आत्मा संविधान में निहित’

CJI न्यायमूर्ति गवई बोले – ‘भारतीय लोकतंत्र की आत्मा संविधान में निहित’

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प्रयागराज, 1 नवम्बर। भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने कहा है कि भारतीय लोकतंत्र की आत्मा संविधान में निहित है। उन्होंने शनिवार को यहां इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ‘कॉन्स्टिट्यूशन एंड कॉन्स्टिट्यूशनलिज्म : द फिलोस्फी ऑफ डॉ. बीआर अंबेडकर’ विषयक सेमिनार को संबोधित करते हुए यह बात कही।

केंद्र व राज्य में समान व्यवस्था हमारे लोकतंत्र की मजबूती का आधार

सीजेआई गवई ने अपने उद्बोधन में कहा कि कई देशों में केंद्र और राज्यों के लिए अलग-अलग संविधान हैं जबकि भारत में एक ही संविधान केंद्र और राज्यों दोनों के लिए समान रूप से लागू है। यही व्यवस्था हमारे लोकतंत्र की मजबूती का आधार है।

न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर दिया जोर, कोलेजियम सिस्टम को सही ठहराया

चीफ जस्टिस ने कहा कि जिला स्तर से न्यायिक व्यवस्था प्रारंभ होकर हाई कोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक जाती है। इससे सभी को न्याय की अवधारणा संभव हो पाई है। नेपाल, बाग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों के अस्थिर लोकतंत्र का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारत में संविधान के कारण ही लोकतंत्र की नींव मजबूत है। उन्होंने कोलेजियम सिस्टम को सही ठहराते हुए कहा कि इस व्यवस्था में नियुक्तियों में राज्य सरकार और केंद्र सरकार और विभिन्न एजेंसियों के इनपुट शामिल होते हैं। इसके आधार पर ही न्यायमूर्तियों की नियुक्ति होती है।

एकल नागरिकता डॉ. अंबेडकर की देन

सीजेआई ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर के कारण ही भारतीय संविधान में एकल नागरिकता की अवधारणा स्वीकार की गई। उन्होंने देश की शक्ति संरचना को विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के रूप में तीन समान स्तंभों में विभाजित किया। जस्टिस गवई ने अनुच्छेद 32 को संविधान की आत्मा बताया और कहा कि इसके बिना संविधान निर्जीव हो जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्यों और केंद्र के बीच शक्ति संतुलन लोकतंत्र की स्थिरता के लिए जरूरी है।

सामाजिक भाईचारे से समृद्ध होगा देश

उन्होंने मौलिक अधिकारों पर कहा कि जीने के अधिकार में भोजन, स्वच्छ हवा, पानी और शिक्षा शामिल हैं। भारत की आत्मा ‘अनेकता में एकता’ है और सामाजिक समानता, भाईचारा तथा उदारता से ही देश समृद्ध हो सकता है। डॉ. अंबेडकर की सामाजिक क्रांति ने देश में सामाजिक और आर्थिक न्याय की राह बनाई है।

जस्टिस विक्रमनाथ बोले – सामाजिक न्याय के जन्मदाता हैं डॉ. अंबेडकर

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने उदारवाद और सामाजिक न्याय के विचार को जन्म दिया और यह संदेश दिया कि कोई भी व्यक्ति संविधान से ऊपर नहीं है। उन्होंने कहा कि सीजेआई गवई का कार्यकाल युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत रहेगा।

भारत के निर्माण का नैतिक वादा – न्यायमूर्ति अरुण भंसाली

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली ने कहा कि डॉ. अंबेडकर का दृष्टिकोण केवल संविधान निर्माण तक सीमित नहीं था बल्कि यह समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व से परिपूर्ण भारत के निर्माण का नैतिक वादा था।

विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में सीजेआई का आगमन विश्वविद्यालय के लिए गर्व का विषय है। कुलपति प्रो. संगीता ने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय देश का चौथा सबसे पुराना शिक्षण संस्थान है, जिसने देश को अनेक प्रतिभाशाली नागरिक दिए हैं।

तीन नवनिर्मित भवनों का लोकार्पण

इस अवसर पर सीजेआई न्यायमूर्ति बीआर गवई ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में तीन नवनिर्मित भवनों का लोकार्पण किया, जिनमें न्यू केमेस्ट्री बिल्डिंग, लेक्चर थियेटर कांप्लेक्स और केंद्रीय पुस्तकालय का रीडिंग हाल शामिल हैं।

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