CJI बीआर गवई ने कार्यकाल के आखिरी दिन बताया – ‘जज चुनने के लिए कॉलेजियम क्यों प्रासंगिक है?’
नई दिल्ली, 23 नवम्बर। भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन रविवार को अपने आवास पर मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया कि जजों को चुनने के लिए कॉलेजियम आखिर क्यों प्रांसगिक है?
CJI गवई ने इसी क्रम में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में जस्टिस विपुल पंचोली को सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट करने के प्रस्ताव पर जस्टिस बीवी नागरत्ना की असहमति पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि यदि इसमें कोई दम होता तो चार जज उस नाम पर सहमत नहीं होते।
एक जज के प्रमोशन में जस्टिस बीवी नागरत्ना की असहमति पर तोड़ी चुप्पी
गौरतलब है कि इसी वर्ष अगस्त में, सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस आलोक अराधे और पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस विपुल एम पंचोली को टॉप कोर्ट में प्रमोट करने की सिफारिश की थी। जस्टिस नागरत्ना ने जस्टिस पंचोली की नियुक्ति के खिलाफ यह कहते हुए अपनी असहमति दर्ज कराई थी कि उनकी नियुक्ति न केवल न्याय प्रशासन के लिए उल्टा होगी बल्कि कॉलेजियम प्रणाली की विश्वसनीयता भी दांव पर लगेगी।
कॉलेजियम में किसी जज की असहमति पहली बार नहीं हुई
CJI गवई के नेतृत्व में जस्टिस सूर्यकांत, विक्रम नाथ, जेके माहेश्वरी और नागरत्ना के पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने जस्टिस पंचोली पर 4-1 के बंटवारे के साथ फैसला लिया। यह पूछे जाने पर कि क्या आपके नजरिए से उस असहमति में कोई दम था? जस्टिस गवई बोले – ‘यदि उसमें कोई दम होता तो चार जज उस नाम पर सहमत नहीं होते।’ उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि कॉलेजियम में किसी जज की असहमति पहली बार नहीं हुई है।
अपने सामने पेश होने वाले वकीलों के बारे में बेहतर जानकारी रखता है कॉलेजियम
यह पूछे जाने पर कि जजों की नियुक्ति पर कॉलेजियम का फैसला आखिरी होता है, लेकिन यदि सरकार को इसमें शामिल किया गया तो क्या अच्छे जज मिलना मुश्किल होगा? जस्टिस गवई ने कहा कि कॉलेजियम, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट, दोनों को अपने सामने पेश होने वाले वकीलों के बारे में बेहतर जानकारी रखता है। उन्हें डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिशियरी से आने वाले जजों के बारे में भी बेहतर जानकारी होती है।
सीजेई गवई ने कहा, ‘जब हमने यहां प्रैक्टिस कर रहे सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के नाम रिकमेंड किए तो हमने उन नामों को संबंधित हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और चीफ जस्टिस और कॉलेजियम मेंबर्स को रिकमेंड किया, इसलिए वे उन जजों के सामने पेश हुए और जब कॉलेजियम वकीलों के परफॉर्मेंस से खुश हुआ, उसके बाद ही उनके नामों की सिफारिश की गई।’
कोई भी सिस्टम फुल प्रूफ नहीं
क्या अच्छे जज सिर्फ कॉलेजियम ही ढूंढ सकता है, इस सवाल पर जस्टिस गवई ने कहा – ‘कोई भी सिस्टम फुल प्रूफ नहीं है। लेकिन मुझे लगता है कि इस मामले में, जज चुनने के लिए एग्जीक्यूटिव के अलावा हाई कोर्ट कॉलेजियम और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ज्यादा सही है। वकील, प्रधानमंत्री या कानून मंत्री के सामने बहस नहीं करते, तो आप किसी कैंडिडेट की परफॉर्मेंस को कैसे आंकते हैं?’
कॉलेजियम द्वारा सुझाए गए 93 नामों में से सरकार ने कितने जजों को नियुक्त किया है, इस प्रश्न पर जस्टिस गवई ने कहा, ‘मुझे लगता है कि मेरे समय में एक या दो को छोड़कर, सरकार ने सभी नामों को मंजूरी दे दी है। मेरे समय में हाई कोर्ट में 107 जजों की नियुक्ति हुई, जिनमें वे नाम भी शामिल हैं, जिन्हें पिछले एक या दो साल से रोक कर रखा गया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट में 24 जजों की नियुक्ति हुई। बॉम्बे हाई कोर्ट में 14 और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में करीब 12 जजों की नियुक्ति हुई।’
गवर्नर के लिए बिल पर फैसला लेने की समय सीमा पर भी रखी राय
प्रेसिडेंशियल रेफरेंस मामले में सुप्रीम कोर्ट की हालिया राय, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने गवर्नर के लिए बिल पर फैसला लेने का सही समय तय नहीं किया है, पर जस्टिस गवई ने कहा, ‘हमने टाइमलाइन में ढील दी और यह कहकर इसे बैलेंस किया कि गवर्नर बिल पर लगातार नहीं बैठ सकते और ज्यूडिशियरी लेजिस्लेटिव इंटरप्रिटेशन से संविधान में कुछ ऐसा नहीं पढ़ सकती, जो वहां है ही नहीं। आप ऐसा कोई स्ट्रेटजैकेट फ़ॉर्मूला नहीं अपना सकते कि हर बिल यदि एक महीने के अंदर पास नहीं होता है, तो उसे पास हुआ मान लिया जाएगा और यह संविधान द्वारा गवर्नर को दी गई शक्तियों पर कब्जा है।”
ज्यूडिशियरी और सरकार के बीच टकराव जरूरी नहीं
पूर्ववर्ती सीजेआई राय दे चुके हैं कि ज्यूडिशियरी और सरकार के बीच दोस्ताना टकराव होना चाहिए, इस सवाल के जवाब में जस्टिस गवई ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि टकराव जरूरी है। कभी-कभी टकराव होगा, लेकिन मुझे नहीं लगता कि लगातार टकराव होगा।’
जस्टिस सूर्यकांत देश के 53वें चीफ जस्टिस के तौर पर लेंगे शपथ
इस बीच जस्टिस सूर्यकांत सोमवार को भारत के 53वें चीफ जस्टिस (CJI) के तौर पर शपथ लेंगे। इस अवसर पर राष्ट्रपति भवन में भूटान, केन्या, मलेशिया, मॉरिशस, नेपाल, श्रीलंका और ब्राजील के चीफ जस्टिस और हायर ज्यूडिशियरी जज मौजूद रहेंगे। शपथ ग्रहण से पहले शनिवार को अपने आवास के कार्यालय में CJI-डेजिग्नेट, जस्टिस सूर्यकांत ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि लम्बित मामलों से निबटना और मध्यस्थता को बढ़ावा देना उनकी प्राथमिकता में होगा।
