नई दिल्ली, 12 मार्च। होली के त्यौहार से पहले केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को तगड़ा झटका दिया है। इस क्रम में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने 2021-22 के लिए ईपीएफ जमा पर ब्याज दर 8.5 से घटाकर 8.1 फीसदी निर्धारित कर दी है।
पिछले 40 वर्षों में सबसे कम ईपीएफ ब्याज दर
श्रम मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार ईपीएफओ ने 2021-22 के लिए ईपीएफ जमा पर ब्याज दर 8.5 फीसदी से 8.1 फीसदी तय की है। यह पिछले 40 वर्षों में सबसे कम ईपीएफ ब्याज दर है। अंतिम बार 1977-78 में ईपीएफ ब्याज दर आठ प्रतिशत थी।
कोविड-19 के बावजूद पिछले वर्ष ब्याज दर 8.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित थी
ईपीएफओ ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर को 8.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा था। यह कोविड-19 महामारी के मद्देनजर नौकरी छूटने के कारण उच्च निकासी और कम योगदान के बावजूद था।
गौरतलब है कि ईपीएफओ की निर्णय लेने वाली शीर्ष संस्था सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की शनिवार को बैठक हुई, जिसमें 2021-22 के लिए ईपीएफ पर ब्याज दर 8.1 फीसदी रखने का फैसला लिया गया। सीबीटी ने 2020-21 के लिए ईपीएफ जमा पर ब्याज दर 8.5 रखने का निर्णय मार्च, 2021 में लिया था। इसे अक्टूबर 2021 में वित्त मंत्रालय ने मंजूरी दी थी। अब सीबीटी के हालिया फैसले के बाद 2021-22 के लिए ईपीएफ जमा पर ब्याज दर की सूचना वित्त मंत्रालय को अनुमोदन के लिए भेजी जाएगी।
मोदी सरकार के इस फैसले से 6 करोड़ कर्मचारी प्रभावित होंगे
ईपीएफओ ने मार्च, 2020 में 2019-20 के लिए भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर सात वर्षों में सबसे कम 8.5 फीसदी करने का फैसला किया था, जो 2018-19 में 8.65 फीसदी थी। मोदी सरकार के इस फैसले के देश के करीब छह करोड़ कर्मचारियों को नुकसान झेलना पड़ेगा।