नई दिल्ली, 5 फरवरी। भारत सरकार ने ड्रैगन पर एक और डिजिटल स्ट्राइक करते हुए लगभग 230 चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। इसमें 138 सट्टेबाजी वाले एप और 94 ऋण देने वाले एप शामिल हैं। ऋण देने वाले एप पर यह काररवाई गृह मंत्रालय की सिफारिश पर इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा शुरू की गई थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार ने लगभग छह माह पहले 288 चीनी एप के बारे में जांच शुरू की थी। इसमें पता चला कि इन एप्स की पहुंच भारतीय नागरिकों के निजी डेटा तक थी। यह कदम इस पुष्टि के बाद उठाया गया था कि ये ऐप आईटी अधिनियम की धारा 69 का उल्लंघन करते हैं क्योंकि इनके पास ऐसी सामग्री थी, जो भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक है।
केंद्र सरकार के इस कदम के पीछे की काररवाई की मुख्य वजह इन एप्स को लेकर आई कई शिकायतें हैं। इनमें व्यक्तियों से जबरन वसूली और उत्पीड़न की कई शिकायतें शामिल हैं। इन लोगों ने इन एप्स की मदद से छोटे ऋण लिए थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ऐसे एप चीनी दिमाग की उपज हैं, जिन्होंने भारतीयों को काम पर रखा और उन्हें ऐसे एप संचालन में निदेशक बनाया।
कर्ज नहीं चुकाने पर 3000% तक ब्याज
रिपोर्ट के अनुसार इन एप्स के झांसे में आकर कई हताश लोग कर्ज ले लेते थे। ये एप थोड़ी-बहुत कागजी कार्यवाही के बाद कर्ज देने का काम करते थे और फिर तय समय पर कर्ज नहीं चुकाने पर सालाना 3,000 फीसदी तक ब्याज को बढ़ा दिया जाता है। ऐसे में कर्जदार पूरे कर्ज की तो बात ही दूर, ब्याज चुकाने में असमर्थ हो जाते थे।
ऐसी हालत में इन एप्स का प्रतिनिधित्व करने वाले कर्ज में डूबे लोगों को परेशान करना शुरू कर देते थे। इन लोगों के द्वारा कर्जदार के पास भद्दे संदेश भेजे जाने, उनकी छेड़छाड़ की गई तस्वीरों को जारी करने की धमकी दी जाती थी। यही नहीं, उनके जानने वालों और परिवार सहित अन्य संपर्कों को लोन के बारे में बताकर शर्मसार भी किया जाता था।
कुछ लोगों की आत्महत्या के बाद मामला आया सामने
इन चीनी एप की कारगुजारियां उस समय सामने आने लगीं, जब विशेष रूप से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कुछ कर्जदारों द्वारा आत्महत्या की बात सुर्खियों में आई। इन लोगों ने इसी तरह के एप का इस्तेमाल कर ऋण लिया था या सट्टेबाजी करने वाले एप्स में अपने पैसे गंवा दिए। तेलंगाना, ओडिशा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के साथ-साथ केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने भी तब केंद्रीय गृह मंत्रालय से इन एप्स के खिलाफ काररवाई करने की सिफारिश की थी।
सरकार ने पाया है कि ऐसे 94 एप ई-स्टोर्स पर उपलब्ध हैं और अन्य थर्ड-पार्टी लिंक के माध्यम से काम कर रहे हैं। यह भी पता चला है कि कई एप अब स्मार्टफोन पर डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन सूत्रों का कहना है कि सट्टेबाजी वाले एप और गेम अन्य लिंक या वेबसाइट के जरिए डाउनलोड किए जा रहे हैं।