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केंद्र सरकार ने 2642 करोड़ रुपये की वाराणसी-पं.दीन दयाल उपाध्याय ‘मल्टी ट्रैकिंग’ परियोजना को दी मंजूरी

केंद्र सरकार ने 2642 करोड़ रुपये की वाराणसी-पं.दीन दयाल उपाध्याय ‘मल्टी ट्रैकिंग’ परियोजना को दी मंजूरी

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नई दिल्ली, 16 अक्टूबर। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को वाराणसी-पंडित दीन दयाल उपाध्याय (मुगलसराय) ‘मल्टी-ट्रैकिंग’ परियोजना को मंजूरी दे दी। इसके निर्माण पर 2,642 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है।

गंगा नदी पर बनेगा देश का सबसे चौड़ा रेल-सह-सड़क पुल

प्रस्तावित परियोजना में गंगा नदी पर देश का सबसे चौड़ा रेल-सह-सड़क पुल बनाया जाएगा। इसके साथ ही अन्य बुनियादी ढांचा सुविधाओं को आधुनिक बनाने के अलावा वाराणसी और पंडित दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) जंक्शन मार्ग के बीच तीसरी और चौथी रेल लाइन को शामिल करना भी शामिल है।

पीएम मोदी 20 अक्टूबर को वाराणसी दौरे पर रख सकते हैं आधारशिला

प्रधानमंत्री मोदी आगामी 20 अक्टूबर को वाराणसी दौरे के दौरान इस योजना की आधारशिल रख सकते हैं। इस बीच पीएम मोदी ने इस निर्णय पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘हम काशीवासियों की सुख-सुविधा के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इस कड़ी में गंगा पर एक रेल-सड़क पुल को मंजूरी दी गई है। इससे तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और यहां के लोगों को बेहतर संपर्क सुविधा मिलने के साथ ही रोजगार और कारोबार के नये अवसर भी बनेंगे।’

मल्टी-ट्रैकिंगपरियोजना परिचालन आसान बनाने के साथ भीड़भाड़ कम करेगी

आधिकारिक बयान में कहा गया है, “प्रस्तावित ‘मल्टी-ट्रैकिंग’ परियोजना परिचालन को आसान बनाएगी और भीड़भाड़ को कम करेगी। इससे भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्त खंडों पर जरूरी ढांचागत सुविधाओं का विकास होगा। यह परियोजना उत्तर प्रदेश में वाराणसी और चंदौली जिलों से होकर गुजरती है। वाराणसी रेलवे स्टेशन, भारतीय रेलवे का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यह प्रमुख क्षेत्रों को जोड़ता है और तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और स्थानीय आबादी के लिए प्रवेश द्वार के रूप में काम करता है।’

बयान के अनुसार, यात्री और माल ढुलाई दोनों के लिए महत्वपूर्ण वाराणसी-डीडीयू जंक्शन मार्ग, कोयला, सीमेंट और खाद्यान्न जैसे सामान के परिवहन के साथ-साथ बढ़ती पर्यटन और औद्योगिक मांग को पूरा करने में अपनी भूमिका के कारण भारी भीड़ का सामना करता है।

प्रस्तावित खंड पर 27.83 करोड़ टन प्रतिवर्ष माल ढुलाई का अनुमान

इसमें कहा गया है, ‘इस मुद्दे का हल करने के लिए, बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने की आवश्यकता है। इसमें गंगा नदी पर एक नया रेल-सह-सड़क पुल और तीसरी और चौथी रेलवे लाइन बनाने का काम शामिल हैं। इस कदम का उद्देश्य क्षमता, दक्षता में सुधार करना और क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना है। इस खंड में भीड़भाड़ से राहत के अलावा, प्रस्तावित खंड पर 27.83 करोड़ टन प्रतिवर्ष माल ढुलाई का अनुमान है।’

बयान में कहा गया है कि यह परियोजना ‘मल्टी-मॉडल’ संपर्क व्यवस्था के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम है। यह लोगों और वस्तुओं तथा सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध संपर्क सुविधा प्रदान करेगा।

रेल नेटवर्क में लगभग 30 किलोमीटर की बढ़ोतरी होगी

उत्तर प्रदेश के दो जिलों से जुड़ी इस परियोजना से भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में लगभग 30 किलोमीटर की बढ़ोतरी होगी। बयान में कहा गया है ‘पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन का साधन होने के कारण रेलवे, जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की लॉजिस्टक लागत को कम करने तथा कार्बन उत्सर्जन 149 करोड़ किलोग्राम कम करने में मदद करेगा, जो छह करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।’

चार साल में पूरा होगा सिंग्नेचर ब्रिज का निर्माण कार्य

कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रजेंटेशन के दौरान बताया कि 137 वर्ष पुराने मालवीय पुल के समानांतर बनने वाले इस पुल का डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) भी अंतिम रूप ले चुका है। रेल और सड़क यातायात को ध्यान में रखते हुए नीचे चार लेन का रेलवे ट्रैक और ऊपर छह लेन की सड़क का ब्लूप्रिंट तैयार है। इस सिग्नेचर ब्रिज का निर्माण 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह सिग्नेचर ब्रिज मालवीय पुल से 50 मीटर की दूरी पर बनेगा और इससे वाराणसी, चंदौली, बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच बेहतर कनेक्टिविटी होगी। चारों दिशाओं में परिवहन को गति मिलेगी। यह पुल उत्तर प्रदेश से बिहार और पूर्वोत्तर भारत के राज्यों के बीच रेल और सड़क यात्रा को सुगम और किफायती बनाएगा।

एक किलोमीटर से अधिक लंबाई का होगा पुल

यह पुल काशी रेलवे स्टेशन के द्वितीय प्रवेश द्वार के नजदीक होगा। नमो घाट के समीप स्थित इस पुल के लिए जल, सड़क और वायु मार्ग के भौगोलिक परीक्षण पूरे हो चुके हैं। पुल की कुल लंबाई एक किलोमीटर से अधिक होगी।

150 वर्षों की स्थिरता के साथ डिजाइन किया गया पुल

सिग्नेचर ब्रिज का डिजाइन 150 वर्षों तक स्थिर रहने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसका फाउंडेशन नदी की सतह से 120 फीट गहराई में होगा, जिसके ऊपर पिलर और ब्रिज का निर्माण किया जाएगा।

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