‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ : केंद्र ने गठित की 8 सदस्यीय समिति, अमित शाह के साथ अधीर रंजन व गुलाम नबी भी शामिल
नई दिल्ली, 2 सितम्बर। केंद्र सरकार ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की संभावनाएं तलाशने के लिए आठ सदस्यीय समिति का गठन कर दिया है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, पूर्व राज्यसभा एलओपी गुलाम नबी आजाद, 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष रहे एनके सिंह, लोससभा के पूर्व सचिव और संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और संजय कोठारी को बतौर सदस्य नियुक्त किया गया है।
पूर्व सीईसी रावत की राय – कुछ शर्तों को पूरा कर इस प्रस्ताव को लागू करना संभव
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के प्रमुख एजेंडे में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ भी शामिल है। फिलहाल इस पर बहस भी शुरू हो गई है। भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ओपी रावत ने इस बारे में राय व्यक्त करते हुए कहा था, ‘प्रस्ताव को लागू करना संभव है, लेकिन कुछ शर्तों को पूरा करना होगा। उन्होंने कहा, अगर केंद्र इसे लागू करना चाहता है, तो संविधान और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में कुछ संशोधन करने होंगे। इसके साथ ही वीवीपैट और ईवीएम के निर्माण और अतिरिक्त तैनाती के लिए अतिरिक्त धन और समय की आवश्यकता होगी। अर्धसैनिक बलों की भी आवश्यकता होगी।’
उन्होंने कहा, ‘यह संभव है। हमें बस एक रोडमैप का पालन करना होगा और सभी राजनीतिक दलों को अपने साथ लाना होगा।’ पूर्व सीईसी ने यह भी याद दिलाया कि ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ पर चर्चा पहली बार 2014-15 में हुई थी, जब चुनाव आयोग से इसकी संभावना के बारे में पूछा गया था। तदनुसार, चुनाव आयोग ने सरकार को सूचित किया था कि ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ 1952, 1957, 1962 और 1967 में हुआ था जब लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए थे।
विपक्षी गठबंधन INDIA के अधिकतर नेता सरकार के इस कदम के खिलाफ
हालांकि देश के कई राजनीतिक दल और नेता इसे केवल ध्यान भटकाने वाला कदम बता रहे हैं। “एक राष्ट्र, एक चुनाव” की व्यवहार्यता तलाशने के लिए केंद्र के प्रयासों पर तंज कसते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराकर इसका परीक्षण करना चाहिए। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बने विपक्षी गठबंधन INDIA के अधिकतर नेता सरकार के इस कदम के खिलाफ हैं।