सत्येंद्र जैन के खिलाफ 4 साल में भी भ्रष्टाचार के सबूत नहीं जुटा पाई CBI, बंद किया केस
नई दिल्ली, 6 मई। दिल्ली के लोक निर्माण विभाग मंत्री सत्येन्द्र जैन और अन्य लोगों के खिलाफ विभाग में क्रिएटिव टीम की भर्ती में कथित भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई की चार साल लंबी जांच का नतीजा सिफर निकलने के बाद अब मामला बंद कर दिया गया है। एक अधिकारी ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि आम आदमी पार्टी (आप) नेता और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य एकत्र कर पाने में असफल रहने के बाद सीबीआई ने हाल ही में विशेष अदालत में मामला बंद करने के लिए क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है।
सीबीआई ने फिलहाल इस मामले में कोई टिप्पणी देने से इनकार कर दिया। एजेंसी ने 28 मई, 2018 को पीडब्ल्यूडी कार्यों के लिए एक क्रिएटिव टीम को काम पर रखने के लिए एक निजी कंपनी को टेंडर देने में अनियमितताओं के आरोपों की जांच के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय की शिकायत पर मामला दर्ज किया था। एजेंसी ने दावा किया कि उसने एक साल की प्रारंभिक जांच की, जिसमें उसने मंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। इसने अपने निष्कर्षों के आधार पर जैन और अन्य पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया।
हालांकि, आरोपों की चार साल की जांच के बाद सीबीआई को भ्रष्टाचार के अपने दावों की पुष्टि करने और मंत्री पर मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं मिली, जिसके परिणामस्वरूप मामला बंद हो गया। दरअसल, सीबीआई के प्रवक्ता ने 29 मई, 2018 को एफआईआर दर्ज करने के बाद कहा था कि इस मामले को देखने के लिए पहले एक प्रारंभिक जांच की गई थी। यह आरोप लगाया गया था कि आरोपी व्यक्तियों ने लोक सेवकों की क्षमता में काम करते हुए जानबूझकर एनआईटी में नियम और शर्तों को बदल दिया ताकि निजी कंपनी को निविदा में भाग लेने के लिए योग्य बनाया जा सके।
अधिकारी ने कहा था कि यह भी आरोप लगाया गया था कि कुछ अन्य असंबंधित मदों से अनधिकृत तरीके से बजट आवश्यकताओं को पूरा किया गया था जो अनुचित और विभिन्न दिशानिर्देशों और विनियमों के उल्लंघन में पाया गया था। एफआईआर दर्ज होने के तुरंत बाद सीबीआई ने सत्येंद्र जैन के आवास पर छापा मारा था, जिस पर आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने राजनीतिक से प्रेरित बताते हुए ट्वीट कर पूछा था, “पीएम मोदी क्या चाहते हैं?”