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महाकुम्भ में भ्रामक पोस्ट करने वाले 53 सोशल मीडिया अकाउंट पर केस, छानबीन में जुटी पुलिस

महाकुम्भ में भ्रामक पोस्ट करने वाले 53 सोशल मीडिया अकाउंट पर केस, छानबीन में जुटी पुलिस

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लखनऊ, 14 फरवरी। उत्तर प्रदेश पुलिस ने प्रयागराज में जारी महाकुम्भ के बारे में गलत एवं भ्रामक सूचना प्रसारित करने के आरोप में पिछले महीने 53 सोशल मीडिया अकाउंट के खिलाफ कानूनी काररवाई शुरू की। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा फर्जी खबरों पर लगाम लगाने के निर्देश के बाद यह काररवाई की गई।

वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार कई भ्रामक पोस्ट की पहचान की गई। इसमें पुराने वीडियो भी शामिल हैं, जिन्हें गलत तरीके से इस आयोजन से जोड़ा गया। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार ने एक बयान में कहा कि विभाग ने एक व्यापक रणनीति तैयार की है, जिसमें सोशल मीडिया पर भ्रामक पोस्ट की निगरानी और उसका मुकाबला करने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस तथा विशेषज्ञ एजेंसियों द्वारा निरंतर साइबर निगरानी शामिल है।

बयान में कहा गया कि 13 फरवरी को साइबर निगरानी के दौरान दो भ्रामक वीडियो सामने आए, जिन्हें गलत तरीके से महाकुंभ से जोड़ा गया था। पहला वीडियो मिस्र में आग लगने की घटना का है और इसे गलत तरीके से महाकुंभ में बस स्टैंड पर आग लगने की घटना से जोड़कर साझा किया गया था।

पोस्ट में दावा किया गया था कि आग लगने की घटना में 40-50 वाहन जलकर नष्ट हो गए। हालांकि, जांच में पुष्टि हुई कि फुटेज वास्तव में 14 जुलाई, 2020 को काहिरा में पाइपलाइन में लगी आग की थी। प्रयागराज कुंभ मेला प्रशासन और उत्तर प्रदेश पुलिस ने आधिकारिक तौर पर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इस दावे को खारिज कर दिया।

इस गलत सूचना को फैलाने के लिए जिम्मेदार कई सोशल मीडिया अकाउंट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गई। दूसरा वीडियो नवंबर 2024 में बिहार के पटना में हुए एक कार्यक्रम का था। इसे महाकुंभ की घटना के रूप में गलत तरीके से पेश किया गया, जिसमें आरोप लगाया गया कि राष्ट्रवादी और धार्मिक व्यक्तियों ने सेना के जवानों पर जूते फेंके थे।

अधिकारियों ने पुष्टि की कि वीडियो वास्तव में पटना के गांधी मैदान में फिल्म ‘‘पुष्पा 2’’ के प्रचार कार्यक्रम का था, जहां अनियंत्रित भीड़ ने अमर्यादित बर्ताव किया था। सांप्रदायिक तनाव भड़काने के प्रयास के आरोप में 15 सोशल मीडिया अकाउंट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गई। बयान के मुताबिक, पिछले महीने महाकुंभ से संबंधित गलत एवं भ्रामक सूचना फैलाने के आरोप में कुल 53 सोशल मीडिया अकाउंट को चिह्नित कर कानूनी कार्रवाई की गयी।

13 जनवरी, 2025 को एक सोशल मीडिया अकाउंट ने झूठा दावा किया कि उत्तर प्रदेश अग्निशमन सेवा द्वारा आयोजित एक नियमित अग्नि शमन अभ्यास कुंभ मेले में वास्तव में आग लगने की घटना थी। इसी तरह, दो फरवरी को सात सोशल मीडिया अकाउंट ने नेपाल की एक घटना के वीडियो को महाकुंभ में हुई भगदड़ से जोड़कर गलत तरीके से प्रसारित किया।

उसी दिन एक अन्य अकाउंट ने झूठा आरोप लगाया कि महाकुंभ में शामिल होने वाले लोगों के अंगों को निकालने के बाद उनके शवों को नदी में फेंका जा रहा है। कुछ दिनों बाद, सात फरवरी को एक फेसबुक अकाउंट ने एक भ्रामक वीडियो साझा किया, जिसमें भीड़ प्रबंधन के उपाय को भगदड़ के रूप में प्रस्तुत किया गया।

नौ फरवरी को 14 सोशल मीडिया अकाउंट ने झारखंड के धनबाद से एक वीडियो को साझा किया, जिसमें दावा किया गया कि उत्तर प्रदेश पुलिस अपने लापता रिश्तेदारों की तलाश कर रहे श्रद्धालुओं की पिटाई कर रही है। एक और घटना 12 फरवरी को हुई, जब सात सोशल मीडिया अकाउंट ने गाजीपुर से 2021 का एक वीडियो साझा किया, जिसमें झूठा दावा किया गया कि भगदड़ पीड़ितों के शव गंगा में दिखाई दे रहे हैं।

डीजीपी कुमार ने कहा कि महाकुंभ की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस ने गलत सूचनाओं का पता लगाने और उनसे निपटने के लिए 24 घंटे साइबर निगरानी प्रणाली लागू की है। जिन सोशल मीडिया अकाउंट का पता लग चुका है उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है और अधिकारी जिम्मेदार व्यक्तियों का पता लगाने के लिए सोशल मीडिया मंच के साथ काम कर रहे हैं।

कुमार ने कहा, ‘‘हम नागरिकों से आग्रह करते हैं कि वे ऑनलाइन कोई भी सामग्री साझा करने से पहले तथ्यों की पुष्टि करें और जिम्मेदारी से काम करें। गलत सूचना फैलाने से कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।’’ प्रयागराज में त्रिवेणी संगम के तट पर दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम महाकुंभ में अब तक करीब 50 करोड़ लोग आ चुके हैं। 12 साल बाद आयोजित हो रहा यह महाकुंभ 13 जनवरी को शुरू हुआ और 26 फरवरी तक चलेगा।

 

 

 

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