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कैग रिपोर्ट से केजरीवाल के ‘काले कारनामों’ उजागर हुए, भाजपा का दावा-‘शीश महल’ की लागत 75-80 करोड़ रुपये

कैग रिपोर्ट से केजरीवाल के ‘काले कारनामों’ उजागर हुए, भाजपा का दावा-‘शीश महल’ की लागत 75-80 करोड़ रुपये

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नई दिल्ली, 6 जनवरी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को दावा किया कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के फ्लैगस्टाफ रोड स्थित पूर्व आवास से संबंधित 139 सवाल उठाए हैं और उनके ‘‘काले कारनामों’’ को उजागर किया है। इन आरोपों पर आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया उपलब्ध नहीं हो सकी।

भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि 2022 की रिपोर्ट में ‘‘शीश महल’’ पर 33.86 करोड़ रुपये खर्च का हवाला दिया गया है, लेकिन वास्तविक लागत उससे कहीं अधिक है। उन्होंने दावा किया, ‘‘यह रिपोर्ट 2022 तक के व्यय से संबंधित है। 2023 और 2024 के व्यय के बारे में कोई खुलासा नहीं किया गया है और हमारी जानकारी के अनुसार, अगर बंगले में मौजूद वस्तुओं की सूची को शामिल किया जाए तो वास्तविक लागत 75-80 करोड़ रुपये तक है।’’

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने केजरीवाल पर हमला तेज कर दिया है और उन पर 6, फ्लैगस्टाफ रोड स्थित बंगले में बड़े पैमाने पर किए गए मरम्मत और साजो सामान के काम में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। इस बंगले में केजरीवाल अपने मुख्यमंत्री पद के कार्यकाल के दौरान रह रहे थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी केजरीवाल पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि उन्होंने दिल्ली के सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर ध्यान देने के बजाय ‘‘शीश महल’’ बनवाया।

सचदेवा ने आरोप लगाया, ‘‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने 139 सवाल उठाए हैं और केजरीवाल के काले कारनामों का बहुत बारीकी से ब्योरा दिया है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि बंगले की मरम्मत का काम दिल्ली शहरी कला आयोग और दिल्ली नगर निगम की अनुमति के बिना किया गया। उन्होंने पूछा, ‘‘एक मुख्यमंत्री ने अनधिकृत तरीके से बंगला बनवाकर दिल्ली को क्या संदेश दिया?’’

सचदेवा ने कहा कि अगर बंगले की वास्तविक लागत निर्धारित करनी है तो लोक निर्माण और अन्य विभागों के खातों की जांच करनी होगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि लोक निर्माण विभाग ने बंगले के निर्माण के लिए सरकारी एजेंसी के रूप में काम करने के बजाय केजरीवाल को खुश करने के लिए ‘‘निजी संगठन’’ के रूप में काम किया।

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