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UP में कॉरपोरेट पुनर्गठन को स्टांप ड्यूटी के दायरे में लाने के लिए कैबिनेट प्रस्ताव तैयार, जल्द मिलेगी मंजूरी

UP में कॉरपोरेट पुनर्गठन को स्टांप ड्यूटी के दायरे में लाने के लिए कैबिनेट प्रस्ताव तैयार, जल्द मिलेगी मंजूरी

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लखनऊ, 22 नवंबर। उत्तर प्रदेश सरकार कॉरपोरेट पुनर्गठन (मर्जर-डीमर्जर) को स्टांप ड्यूटी के दायरे में लाने की तैयारी में है। इसके लिए स्टांप एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव लगभग अंतिम चरण में पहुंच गया है और माना जा रहा है कि इसे जल्द ही मंत्रिपरिषद के समक्ष रखा जाएगा। मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों के अनुसार, नई नीति से राज्य को सालाना लगभग 2,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय हो सकती है। अधिकारियों ने बताया कि योगी आदित्यनाथ सरकार इस बार निर्णायक कदम बढ़ाने को तैयार है।

कैबिनेट की मंजूरी के बाद संशोधन विधेयक विधानसभा की शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। स्टांप एवं पंजीकरण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “कॉरपोरेट पुनर्गठन को स्टांप ड्यूटी के दायरे में लाने के लिए कैबिनेट नोट तैयार कर लिया गया है। इसे एक सप्ताह के भीतर सरकार को भेजा जाएगा।”

वर्तमान में उत्तर प्रदेश में कंपनियों के कॉरपोरेट पुनर्गठन के दौरान संपत्ति, शेयर, नकद अथवा अन्य परिसंपत्तियों के हस्तांतरण पर कोई स्टांप ड्यूटी लागू नहीं होती है। जबकि अन्य राज्यों कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और हरियाणा ने ऐसी लेन-देन पर अपने स्टांप ढांचे को वर्षों पहले ही मजबूत कर लिया है। अधिकारियों के अनुसार, “स्पष्ट प्रावधान न होने के कारण यूपी को लगातार राजस्व का नुकसान हुआ है।”

वर्ष 2016 से अब तक कई बार इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने की कोशिश की गई लेकिन कभी भी यह कैबिनेट तक नहीं पहुंच सका। इस बार सरकार इसे लेकर गंभीर है। प्रस्तावित नीति के तहत कॉरपोरेट पुनर्गठन की प्रकृति और उसके मूल्यांकन के आधार पर दो से पांच प्रतिशत तक स्टांप ड्यूटी लगाने की तैयारी है। इतना ही नहीं, यह प्रावधान पूर्ववर्ती लेन-देन पर भी लागू करने का सुझाव है, यानी पहले से हो चुके कॉरपोरेट पुनर्गठन पर भी ड्यूटी लगेगी।

अधिकारियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में तीव्र औद्योगिकीकरण और विनिर्माण, लॉजिस्टिक्स, फिनटेक, डाटा सेंटर जैसे क्षेत्रों में कंपनियों के बड़े पैमाने पर आने के कारण बिना किसी स्पष्ट नीति के कॉरपोरेट पुनर्गठन प्रक्रिया को जारी रखना अब संभव नहीं है। राज्य की एक लाख करोड़ डॉलर अर्थव्यवस्था के लक्ष्य से भी यह कदम जुड़ा हुआ है। इस लक्ष्य में सहयोग के लिए नियुक्त परामर्शदाता डेलॉइट ने भी कॉरपोरेट संरचना में पारदर्शिता और राजस्व वृद्धि को ध्यान में रखते हुए यह सुधार आवश्यक बताया है।

सूत्रों के अनुसार कई उद्योग संगठनों ने भी स्टांप ड्यूटी को लेकर स्पष्टता की मांग उठाई है। एक अधिकारी ने कहा, “कंपनियां अनिश्चितता नहीं चाहतीं। स्पष्ट और कोडिफाइड नीति विवादों और मनमाने आकलन की स्थिति को खत्म करेगी और कारोबार सुगमता को बढ़ाएगी।” करीब एक दशक से अटकी यह पहल अब अंतिम रूप लेती दिख रही है। कैबिनेट से मंजूरी मिलते ही सरकार शीतकालीन सत्र में संशोधन विधेयक पेश करेगी, जिसके बाद उत्तर प्रदेश पहली बार कॉरपोरेट मर्जर और डीमर्जर पर औपचारिक रूप से स्टांप ड्यूटी वसूलने की दिशा में आगे बढ़ जाएगा।

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