नई दिल्ली, 31 जनवरी। केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में आर्थिक समीक्षा 2021-22 पेश करते हुए कहा कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र का योगदान 50 प्रतिशत से अधिक रहा। समीक्षा में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान सेवा क्षेत्र में क्रमबद्ध सुधार भी दर्ज किया गया।
इसमें कहा गया है कि 2021-22 की प्रथम छमाही के दौरान सेवा क्षेत्र में कुल मिलाकर 10.8 प्रतिशत वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि हुई। वर्ष 2021-22 में समग्र सेवा क्षेत्र का जीवीए 8.2 प्रतिशत बढ़ने की आशा है। हालांकि, आर्थिक समीक्षा में इस बात पर विशेष जोर देते हुए कहा गया है कि कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के फैलने के कारण विशेषकर उन क्षेत्रों में निकट भविष्य में कुछ हद तक अनिश्चितता रहने की संभावना है जिनमें मानव संपर्क आवश्यक होता है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत में सेवा क्षेत्र एफडीआई प्रवाह का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता रहा है। वर्ष 2021-22 की पहली छमाही के दौरान सेवा क्षेत्र को 16.73 अरब डॉलर का प्रवाह हुआ है।
वित्तीय, व्यापार, आउटसोर्सिंग, अनुसंधान एवं विकास, कुरियर, शिक्षा उप-क्षेत्र के साथ प्रौद्योगिकी परीक्षण एवं विश्लेषण में एफडीआई अधिक रहा है। आर्थिक समीक्षा में इस बात को रेखांकित किया गया है कि वैश्विक सेवा निर्यात में भारत का प्रमुख स्थान रहा। वर्ष 2020 में वह शीर्ष 10 सेवा निर्यातक देशों में बना रहा। विश्व वाणिज्यिक सेवाओं के निर्यात में इसकी भागीदारी वर्ष 2019 में 3.4 प्रतिशत से बढ़कर 2020 में 4.1 प्रतिशत हो गई।
समीक्षा में कहा गया कि व्यापारिक निर्यात की तुलना में भारत के सेवाओं के निर्यात पर कोविड-19 प्रेरित वैश्विक लॉकडाउन का प्रभाव कम गंभीर था। परिवहन सेवा के निर्यात पर कोविड-19 के प्रभाव के बावजूद सॉफ्टवेयर निर्यात, व्यापार और ट्रांसपोर्टेशन सेवाओं की सहायता की बदौलत सेवाओं के सकल निर्यात में दहाई आंकड़े में वृद्धि दर्ज की गई जिसके परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में सेवाओं के शुद्ध निर्यात में 22.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
आर्थिक समीक्षा में आईटी-बीपीएम सेवा को भारत के सेवा क्षेत्र के प्रमुख खंड के रूप में वर्णित किया गया है। नेस्कॉम के अनुमान के अनुसार वर्ष 2020-21 के दौरान आईटी-बीपीएम राजस्व (ई-कॉमर्स के अतिरिक्त) वार्षिक 2.26 प्रतिशत बढ़कर 1.38 लाख कर्मचारियों को जोड़ते हुए 194 अरब डॉलर तक पहुंच गया।