बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा चीन से सटे सीमावर्ती प्रदेशों – अरुणाचल और सिक्किम का दौरा करेंगे
नई दिल्ली, 23 अप्रैल। बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा जल्द ही चीन की सीमा से सटे अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम का दौरा करेंगे। दलाई लामा का यह दौरा दोनों सीमावर्ती राज्यों के मुख्यमंत्रियों के आमंत्रण पर हो रहा है। उनकी इस यात्रा से भारत सरकार सीधे तौर पर चीन को बेहद सख्त संदेश देने जा रही है, जो दलाई लामा को अपना प्रमुख दुश्मन मानता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने बीते शनिवार को दिल्ली में दलाई लामा से मुलाकात की। मुलाकात के बाद सीएम खांडू ने ट्वीट करके बताया कि तिब्बत के आध्यात्मिक धर्मगुरु दलाई लामा ने उन्हें भरोसा दिया है कि वह इस वर्ष अक्टूबर या नवंबर में अरुणाचल का दौरा करेंगे।
Blessed to have audience with the apostle of peace; embodiment of compassion; ocean of wisdom, His Holiness the 14th @DalaiLama along with my family members today morning. Happy that His Holiness has reiterated his assurance to visit Arunachal by October/November this year.… pic.twitter.com/FwcK2w8iwo
— Pema Khandu པདྨ་མཁའ་འགྲོ་། (@PemaKhanduBJP) April 22, 2023
पेमा खांडू के अलावा सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने भी इस हफ्ते की शुरुआत में दलाई लामा से मुलाकात की थी। उनसे भेंट करने के बाद प्रेम सिंह तमांग ने ट्वीट करके बताया, ‘मैंने परम पावन दलाई लामा को सिक्किम आने और अपनी बहुमूल्य उपस्थिति से हमें अनुग्रहित करने का निमंत्रण दिया। उन्होंने हमारे निमंत्रण को स्वीकार किया और बताया कि अक्टूबर में सिक्किम का दौरा करेंगे।’
Feel blessed and honoured to meet His Holiness the 14th Dalai Lama at New Delhi and seek his divine blessings on behalf of the Sikkimese people.
1/2— Prem Singh Tamang (Golay) (@PSTamangGolay) April 20, 2023
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 20 अप्रैल को भारत सरकार के वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया था, जिसमें भागीदारी के लिए लिए दलाई लामा दिल्ली आए थे। इस कार्यक्रम में तिब्बती धर्मगुरु 21 अप्रैल को भाषण भी दिया था। हालांकि दलाई लामा 20 अप्रैल को वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन में नहीं गए थे क्योंकि भारत सरकार नहीं चाहती थी कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा करें। इसकी खास वजह यह है कि भारत शंघाई सहयोग संगठन (SCO) और G20 के शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है और उसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी आ सकते हैं।
इसके बावजूद दलाई लामा द्वारा अरुणाचल और सिक्किम के प्रस्तावित दौरे से नई दिल्ली ने बीजिंग को साफ संदेश भेजा दिया है क्योंकि तीन सप्ताह पहले चीन ने भारी हिमाकत करते हुए मंदारिन भाषा में भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल के 11 स्थानों का नाम अपने नक्शे में दिखाते हुए पर उन क्षेत्रों पर अपना दावा किया था। इससे पहले भी अप्रैल, 2017 में चीन ने अरुणाचल प्रदेश में छह स्थानों का नाम बदला था और दिसंबर 2021 में तिब्बती के 15 और स्थानों का नाम बदला था।
चीन, भारत के अरुणाचल प्रदेश के 90,000 वर्ग किमी क्षेत्र पर अपना दावा पेश करता है और उसे वो ज़ंगनान या दक्षिण तिब्बत कहता है। हांलाकि भारत सरकार लगातार बीजिंग के उन दावे को अनैतिक कहते हुए खारिज करती है।
स्मरण रहे कि 1959 के मार्च महीने में दलाई लामा चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) से बचने के लिए ल्हासा के पोटाला पैलेस से भागकर भारत पहुंचे थे और तब से भारत में निर्वासन की जिंदगी जी रहे हैं। दलाई लामा को चीन ‘अलगाववादी’ कहता है और आरोप लगाता है कि बौद्ध धर्मगुरु चीन को विभाजित करने की साजिश करते रहते हैं।