बृजभूषण शरण सिंह ने कोर्ट में दी दलील – ‘किसी महिला को यौन इरादे की इच्छा के बिना गले लगाना अपराध नहीं…’
नई दिल्ली, 9 अगस्त। देश की कई शीर्ष महिला पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोपों पर कानूनी काररवाई का सामना कर रहे भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने बुधवार को यहां राउज एवेन्यू कोर्ट में अपनी दलील रखी और कहा कि किसी महिला को यौन इच्छा के बिना गले लगाना या स्पर्श करना अपराध नहीं है। बृजभूषण ने आरोपों के खिलाफ अपना बचाव करते हुए कहा, ‘आपराधिक बल या यौन इरादे के बिना किसी महिला को गले लगाना…छूना अपराध नहीं है।’
राउज एवेन्यू कोर्ट में बृजभूषण शरण सिंह की ओर से पेश वकील राजीव मोहन ने अदालत में तर्क दिया कि भाजपा सांसद के खिलाफ महिला पहलवानों के आरोप पुराने हैं। शिकायतकर्ताओं में से एक के आरोप पर, जिसमें बृजभूषण पर दिल्ली के अशोक रोड और सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में 20-25 सेकेंड के लिए गले लगाने का आरोप लगाया गया था, राजीव मोहन ने कहा कि किसी कार्यक्रम के दौरान कोच के लिए खिलाड़ियों को गले लगाना आम बात है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राजीव मोहन ने कहा, ‘दो अपराध अशोक रोड और सिरी फोर्ट से संबंधित हैं। सिरी फोर्ट में अपराध केवल गले लगाने का है…किसी महिला को बिना किसी आपराधिक बल या यौन इरादे के छूना अपराध नहीं है।’
‘विदेश में हुई कथित घटनाओं पर भारत में नहीं चल सकता मुकदमा‘
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल के समक्ष दलील देते हुए राजीव मोहन ने कहा कि मंगोलिया और जकार्ता में हुई कथित घटनाओं पर सुनवाई भारत में नहीं हो सकती। उन्होंने सीआरपीसी का हवाला देते हुए कहा कि मुकदमा वहीं होना चाहिए, जहां घटना हुई हो।
बृजभूषण के वकील ने शिकायतों की टाइमिंग को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि 2017 और 2018 की कथित घटनाओं के आधार पर 2023 में एक शिकायत दर्ज की गई थी। यह कहते हुए कि मुद्दों को उठाने में देरी के पीछे कोई मजबूत कारण नहीं दिया गया था, सिवाय इसके कि करिअर की चिंता थी। राजीव मोहन ने आगे कहा कि कर्नाटक के बेलारी या लखनऊ में दर्ज शिकायतों के आधार पर मुकदमा दिल्ली में नहीं चलाया जा सकता। अदालत इस मामले पर गुरुवार को भी सुनवाई जारी रखेगी।
जमानत पर चल रहे बृजभूषण शरण सिंह
गौरतलब है कि राउज एवेन्यू कोर्ट ने यौन उत्पीड़न मामले में गत माह 20 जुलाई को बृजभूषण शरण को जमानत दे दी थी। यह आदेश न्यायमूर्ति हरजीत सिंह जसपाल ने पारित किया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि बृजभूषण बिना अनुमति के देश से बाहर नहीं जा सकते। साथ ही वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उन लोगों को धमकी नहीं दे सकते, जिन्होंने उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया है।