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गुजरात चुनाव : भाजपा ने 2002 दंगे के सजायाफ्ता मनोज कुकरानी की बेटी को नरोदा से दिया टिकट

गुजरात चुनाव : भाजपा ने 2002 दंगे के सजायाफ्ता मनोज कुकरानी की बेटी को नरोदा से दिया टिकट

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अहमदाबाद, 12 नवम्बर। भारतीय जनता पार्टी की ओर से गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए जारी की गई 160 प्रत्याशियों की लिस्ट में एक नाम बेहद चौंकाने वाला है। यह नाम है 30 वर्षीया पायल कुकरानी का, जिन्हें अहमदाबाद के नरोदा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है।

भाजपा प्रत्याशी पायल के पिता गोधरा हिंसक दंगों के दोषी

प्राप्त जानकारी के अनुसार भाजपा प्रत्याशी पायल के पिता मनोज कुकरानी 2002 के गोधरा हिंसक दंगों के दोषी हैं और उनको कोर्ट द्वारा नरोदा पाटिया के उस जघन्य कांड में दोषी ठहराया गया था, जिसमें 28 फरवरी, 2002 को 96 अल्पसंख्यकों का सामूहिक कत्ल हुआ था।

एक निजी अस्पताल में बतौर एनेस्थेटिस्ट कार्यरत हैं पायल 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पायल कुकरानी एक निजी अस्पताल में बतौर एनेस्थेटिस्ट कार्यरत हैं जबकि उनमां रेशमा कुकरानी अहमदाबाद के सैजपुर बोघा वार्ड से भाजपा पार्षद हैं। भाजपा ने नरोदा से मौजूदा भाजपा विधायक बलराम थवानी का टिकट काटते हुए पायल को वहां से पार्टी का प्रत्याशी बनाया है।

नरोदा पाटिया हिंसक कांड के 32 दोषियों में शामिल थे मनोज कुकरानी

पायल के पिता मनोज कुकरानी उन 32 दोषियों में शामिल थे, जिन्होंने नरोदा पाटिया हिंसक कांड को अंजाम दिया था। उस हिंसा के लिए नरोदा सीट का तत्कालीन भाजपा विधायक और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सरकार में मंत्री रहीं माया कोडनानी को भी अहमदाबाद की स्पेशल कोर्ट ने 2012 में दोषी ठहराया था। मामले में आगे चलकर गुजरात हाईकोर्ट ने वर्ष 2018 में 16 दोषियों की सजा बरकरार रखी, लेकिन माया कोडनानी समेत 13 अन्य को बरी कर दिया।

वहीं नरोदा पाटिया दंगे में लोअर कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए गए दोषियों में से दो की मौत जेल में ही चुकी थी। अहमदाबाद की स्पेशल कोर्ट ने अगस्त 2012 में नरोदा दंगों की सुनवाई खत्म करते हुए 2002 दंगों में शामिल होने के लिए भाजपा कार्यकर्ता मनोज कुकरानी को हत्या और हत्या के प्रयास (आईपीसी की धारा 307 और 302), दंगा करने का दोषी ठहराया था।

मामले में कम से कम 22 गवाहों ने कोर्ट में मनोज कुकरानी की भूमिका को प्रमाणित करते हुए गवाही दी थी, जिसके आधार पर कोर्ट ने कुकरानी समेत अन्य दोषियों को कम से कम 21 साल कठोर कारावास की सजा दी थी। कुकरानी की सजा के खिलाफ दायर याचिका पर गुजरात हाई कोर्ट ने 2018 में कुकरानी की सजा को बरकार रखा था।

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