छत्तीसगढ़ चुनाव : भाजपा पहली बार चुनाव की घोषणा से पहले उम्मीदवारों के चयन में जुटी
नई दिल्ली, 16 अगस्त। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव का अब तक घोषणा भी नहीं हुई है, लेकिन पिछले परिणामों से सजग भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की केंद्रीय चुनाव समिति उम्मीदवारों के चयन में जुट गई है और इस निमित्त राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार को एक अहम बैठक भी हुई।
भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री @JPNadda की अध्यक्षता एवं पीएम श्री @narendramodi की गरिमामयी उपस्थिति में आयोजित भाजपा केन्द्रीय चुनाव समिति बैठक के कुछ दृश्य। pic.twitter.com/rojnR6M8nU
— BJP (@BJP4India) August 16, 2023
दिलचस्प यह है कि भाजपा के चुनावी इतिहास में ऐसा पहली बार है, जब चुनाव की घोषणा से पहले उम्मीदवारों के चयन में पार्टी जुटी है। दिल्ली बैठक में छत्तीसगढ़ की ‘बी’, ‘सी’ और ‘डी’ कैटेगरी की सीटों पर विस्तार से चर्चा हुई। हालांकि पार्टी ने चार कैटगरी बनाई हैं। ‘ए’ कैटगरी का मतलब है – जहां जीत मिली।
किस कैटेगरी में कितनी सीटें?
सूत्रों के अनुसार चर्चा में राज्य इकाई की तरफ से सीटों के कैटेगराइजेशन को केंद्रीय चुनाव समिति के सामने रखा गया। जिन 27 सीटों को लेकर चर्चा हुई, उनमें से कुल 22 सीटें ‘बी’ और ‘सी’ कैटेगरी और 5 सीटें ‘डी’ कैटेगरी में विभाजित की गई हैं।
बी, सी और डी कैटेगरी की सीटों का ये है मतलब
‘बी’ कैटेगरी में उन सीटों को रखा गया है, जिन पर भाजपा उम्मीदवार कभी हारे और कभी जीते हैं। ‘सी’ कैटेगरी में उन सीटों को रखा गया, जहां पार्टी को दो बार से ज्यादा पराजय झेलनी पड़ी है जबकि ‘डी’ कैटेगरी में उन सीटों को रखा गया है, जिन पर भाजपा कभी नहीं जीती है। इन कमजोर सीटों पर उम्मीदवारों के नामों के पैनल पर भी चर्चा हुई है।
Glimpses from BJP Central Election Committee Meeting being held at party headquarters in New Delhi. pic.twitter.com/gRx8eIZfXg
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करीब डेढ़ घंटे तक चली इस बैठक में छत्तीसगढ़ की इन 27 सीटों पर उम्मीदवारों के पैनल के अलावा स्थानीय मुद्दों को लेकर भी चर्चा की गई। सूत्रों के मुताबिक, हर सीट पर जातिगत समीकरण को ध्यान में रखकर जिताऊ उम्मीदवारों के नामों पर भी चर्चा की गई है। लेकिन यह साफ नहीं है कि इन उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कब की जाएगी।
2018 के छत्तीसगढ़ चुनाव में करारी हार झेलनी पड़ी थी
गौरतलब है कि 2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। तब भाजपा को 90 विधानसभा सीटों में से सिर्फ 15 पर जीत मिली थी जबकि कांग्रेस ने राज्य के चुनावी इतिहास में सबसे ज्यादा 68 विधानसभा सीटें जीतकर सरकार बनाई थी। हालांकि, उसके तुरंत बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जबर्दस्त वापसी करते हुए 11 में से नौ सीटें जीती थीं। अब भाजपा समय से पहले चौकन्ना होकर चुनाव की तैयारी में जुट गई है और पिछले लोकसभा चुनाव की जीत को इस बार विधानसभा चुनाव में भी बदलना चाहती है।