गुजरात चुनाव से पहले भाजपा को बड़ा झटका, डायमंड यूनियन ने किया बहिष्कार का एलान
सूरत, 25 नवम्बर। गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए अच्छे संकेत नजर नहीं आ रहे हैं। दरअसल, गुजरात अपने डायमंड (हीरा) के लिए जाना जाता है, लेकिन अब डायमंड यूनियन ने भाजपा का बायकॉट करने का एलान किया है।
डीडब्ल्यूयूजी राज्य में हीरा श्रमिकों का सबसे बड़ा संगठन
द डायमंड वर्कर्स यूनियन गुजरात (डीडब्ल्यूयूजी) राज्य में हीरा श्रमिकों (डायमंड वर्कर्स) का सबसे बड़ा संगठन है। इसने हीरा कारीगरों से आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा का बहिष्कार करने को कहा है। DWUG का कहना है कि हीरा कारीगर लंबे समय से चले आ रहे अपने मुद्दों को विवेकपूर्ण ढंग से हल करने के इच्छुक राजनीतिक दलों को वोट दें।
सूरत के अलावा सौराष्ट्र में भी बड़ी संख्या में हीरा श्रमिक
DWUG का ताजा ऐलान भाजपा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। डायमंड सिटी सूरत के अलावा सौराष्ट्र में भी बड़ी संख्या में हीरा श्रमिक हैं। यूनियन की घोषणा से पाटीदार बहुल इन इलाकों में भगवा पार्टी को एक गंभीर झटका लग सकता है।
पूरे गुजरात में हीरा श्रमिकों को DWUG ने भेजा संदेश
यूनियन ने पूरे गुजरात में अपने लगभग 25,000 सदस्यों को इस संबंध में पत्र भेजा है। इसके अलावा 150 से अधिक ह्वाट्सएप ग्रुप पर 40,000 से अधिक हीरा श्रमिकों को, DWUG के फेसबुक पर जुड़े 80,000 श्रमिकों को और टेलीग्राम ग्रुप पर जुड़े 60,000 से अधिक सदस्यों को भी पत्र भेजकर उनसे भाजपा का बहिष्कार करने का अनुरोध किया गया है। पत्र में अनुरोध किया गया है कि वे सभी सूरत और सौराष्ट्र क्षेत्र में हीरा कारीगरों के सामने आने वाले मुद्दों के समाधान की गारंटी देने वाले राजनीतिक दलों को वोट दें।
DWUG ने श्रमिकों से कहा – ‘अभी नहीं तो कभी नहीं‘
DWUG के अध्यक्ष रमेश जिलारिया ने कहा, ‘बतौर मुख्य संगठन के रूप में हम हीरा श्रमिकों के सामने आने वाली विभिन्न समस्याओं और मुद्दों को गुजरात की भाजपा सरकार के सामने रख रहे हैं, लेकिन उन्होंने समस्याओं को हल करने की परवाह नहीं है। सूरत, नवसारी और सौराष्ट्र क्षेत्र के जिलों के 30 लाख से अधिक हीरा कारीगर पिछले 12 वर्षों से संकट में हैं। इसलिए अभी नहीं तो कभी नहीं।’
आरोप – भाजपा सरकार ने हीरा उद्योग में श्रम कानूनों को लागू नहीं किया
हीरा श्रमिकों के सामने आने वाली समस्याओं के बारे में बताते हुए जिलारिया ने कहा कि भाजपा सरकार ने हीरा उद्योग में श्रम कानूनों को लागू नहीं किया है और कम्पनी के मालिक कारीगरों का शोषण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सूरत में हीरा श्रमिकों पर पेशेवर कर (प्रोफेशनल टैक्स) को समाप्त करने की मांग पिछले एक दशक में हल नहीं हुई है।
कतार्गम और वराछा आम आदमी पार्टी ने उतारे अपने प्रमुख चेहरे
सूरत दुनिया की सबसे बड़ी डायमंड कटिंग और पॉलिशिंग (हीरा काटने और चमकाने की) इंडस्ट्री है। इंडस्ट्री कतार्गम और वराछा जैसे जिलों में स्थित 4,500 से अधिक बड़े, छोटे और मध्यम हीरे के कारखानों में 6 लाख से अधिक हीरा श्रमिकों को रोजगार देता है। इन दोनों विधानसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख चेहरे मैदान में हैं। कतार्गम से गुजरात आप अध्यक्ष गोपाल इटालिया और वराछा से पूर्व पाटीदार आरक्षण आंदोलन के संयोजक अल्पेश कथीरिया को चुनावी मैदान में उतारा गया है।
भाजपा के बहिष्कार का पाटीदार कनेक्शन
गुजरात के हीरा उद्योग में लगभग 92% लोग सौराष्ट्रियन पटेल हैं। सूरत के वराछा, करंज, कतार्गम और कामरेज विधानसभा क्षेत्रों में पाटीदार मतदाताओं की अच्छी खासी आबादी है। बड़ी संख्या में समुदाय के लोग हीरा श्रमिक भी हैं। ज्ञात हो कि 2021 में, पाटीदार आरक्षण आंदोलन के प्रभाव और हीरा श्रमिकों की मांगों ने आम आदमी पार्टी (आप) को नगरपालिका चुनावों में लगभग 27 सीटें जीतने में मदद की थी। 2018-19 में, दुनिया में कोरोना वायरस महामारी के आने से ठीक पहले, हीरा उद्योग में बेरोजगारी देखी गई और इसके चलते 16 हीरा श्रमिकों ने आत्महत्याएं कीं। डीडब्ल्यूयूजी ने गुजरात सरकार से पीड़ितों के परिवारों को आर्थिक राहत और नौकरी देने की मांग की थी, जो पूरी नहीं हुई।
डीडब्ल्यूयूजी के उपाध्यक्ष भावेश टैंक ने कहा कि सरकार हादसों और भगदड़ों में मारे गए लोगों के परिवारों को अनुग्रह राशि दे रही है, लेकिन वे बेरोजगारी के कारण आत्महत्या करने वाले हीरा श्रमिकों के परिवारों को आर्थिक सहायता देने से कतरा रहे हैं। गुजरात में लगभग 95% हीरा श्रमिकों को लॉकडाउन मजदूरी नहीं मिली है।
उन्होंने कहा, ‘आप ने 2021 में सूरत में नगरपालिका चुनावों में पाटीदार बहुल क्षेत्रों से 27 सीटें जीतीं। अधिकतर हीरा श्रमिकों ने पेशेवर कर माफी, श्रम कानूनों के कार्यान्वयन आदि की उनकी मांग पूरी नहीं होने के कारण भाजपा के खिलाफ मतदान किया।’
‘श्रमिकों को नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ‘
DWUG के पदाधिकारियों के अनुसार, रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (GJEPC) ने गुजरात में बेरोजगार हीरा श्रमिकों के लिए 50 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की घोषणा की थी। लेकिन सूरत या गुजरात के अन्य केंद्रों में एक भी हीरा श्रमिक को वित्तीय सहायता नहीं मिली है।
सूरत डायमंड एसोसिएशन (एसडीए) के सचिव दामजी मवानी ने कहा, ‘यह सच है कि हीरा श्रमिकों को पेशेवर कर, श्रम कानूनों को लागू करने की मांग आदि जैसे कई मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, यह देखा जाना बाकी है कि DWUG द्वारा दिया गया आह्वान हीरा श्रमिकों के बीच होगा कितना प्रभावी होता है।’
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने पर कहा, ‘संघ के पदाधिकारी चाहते थे कि भाजपा सूरत के हीरा उद्योग के प्रमुख उम्मीदवारों को टिकट दे, लेकिन हमने वराछा में मौजूदा विधायक कुमार कनानी और कतार्गम में विनू मोराडिया को फिर से टिकट दिया है। इसने DWUG के सदस्यों को परेशान कर दिया है और वे हीरा श्रमिकों को भड़का रहे हैं। मतदाता चतुर हैं और वे उनकी सलाह नहीं मानने वाले हैं।’