बांग्लादेश की अदालत ने शेख हसीना सहित 18 आरोपितों के खिलाफ जारी किया गिरफ्तारी वारंट
ढाका, 10 अप्रैल। बांग्लादेश की एक अदालत ने आवासीय भूखंड की अवैध खरीद से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, उनकी बेटी साइमा वाजेद पुतुल और 17 अन्य के खिलाफ नया गिरफ्तारी वारंट जारी किया। आरोपितों के अदालत में पेश न होने के बाद गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए और अदालत ने भ्रष्टाचार निरोधक आयोग (एसीसी) द्वारा प्रस्तुत आरोप पत्र को स्वीकार कर लिया।
आवासीय भूखंड की अवैध खरीद से जुड़े भ्रष्टाचार का मामला
ढाका मेट्रोपॉलिटन के वरिष्ठ विशेष न्यायाधीश जाकिर हुसैन गालिब ने एसीसी के आरोप पत्र को स्वीकार कर लिया और फरार व्यक्तियों की गिरफ्तारी का आदेश दिया। यह मामला उन आरोपों के इर्द-गिर्द घूमता है कि हसीना और उनकी बेटी ने ढाका के बाहरी इलाके में स्थित पुरबाचल न्यू सिटी हाउसिंग प्रोजेक्ट में आवासीय भूखंड हासिल करने के लिए धोखाधड़ी का इस्तेमाल किया।
आरोप पत्र के अनुसार, पुतुल ने अपनी मां तत्कालीन प्रधानमंत्री हसीना पर अनुचित प्रभाव डाला ताकि राज्य द्वारा संचालित राजधानी उन्यन कार्त्रीपक्खा (RAJUK) को दरकिनार किया जा सके और भूमि आवंटन को नियंत्रित करने वाली कानूनी प्रक्रियाओं का उल्लंघन करते हुए अवैध रूप से भूखंड हासिल किया जा सके। ACC का दावा है कि पुतुल और उनके परिवार के पास पहले से ही ढाका में संपत्तियां हैं, जो उनके कार्यों की वैधता को और कमज़ोर करता है। पुतुल वर्तमान में नई दिल्ली में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के लिए दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्रीय निदेशक के रूप में कार्यरत हैं।
‘मुजीब शताब्दी समारोह’ के दौरान कथित कुप्रबंधन की भी जांच जारी
इस मामले के अलावा ACC ने हाल ही में बांग्लादेश के संस्थापक पिता शेख मुजीबुर रहमान की 100वीं जयंती के अवसर पर 2020 में आयोजित ‘मुजीब शताब्दी समारोह’ के दौरान 4,000 करोड़ टका के कथित कुप्रबंधन की जांच शुरू की है। हसीना और उनकी बहन शेख रेहाना के साथ-साथ पूर्व प्रधान सचिव कमाल अब्दुल नासर चौधरी भी खर्च में अपनी भूमिका के लिए जांच के दायरे में हैं।
गौरतलब है कि बांग्लादेश में 16 वर्षों तक शासन करने वालीं 77 वर्षीया शेख हसीना अगस्त, 2024 में छात्रों के नेतृत्व में हुए विद्रोह के बीच सत्ता से बाहर हो गई थीं। तब से हसीना ने भारत में शरण ले रखी है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने उनके प्रत्यर्पण की कई बार मांग की है, लेकिन नई दिल्ली ने अब तक अनुरोध का जवाब नहीं दिया है।
