जम्मू-कश्मीर में ‘आयुष्मान भारत’ योजना का हाल बेहाल, घाटा होने का आरोप लगा इंश्योरेंस एजेंसी ने पीछे खींचे हाथ
जम्मू, 6 सितम्बर। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में ‘आयुष्मान भारत’ योजना दुर्दशा को प्राप्त हो गई है क्योंकि इंश्योरेंस एजेंसी ने इस मामले में घाटा होने का आरोप लगा कर अपना हाथ पीछे खींच लिए हैं। नतीजा यह हुआ कि आयुष्मान भारत का कार्ड लेकर मरीज दर ब दर भटकने को मजबूर हैं।
निजी अस्पतालों ने एक सितम्बर से बंद की सेवाएं
जम्मू कश्मीर में सैकड़ों मरीजों ने सरकार से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है क्योंकि केंद्र शासित प्रदेश में निजी अस्पतालों ने इस साल मार्च से लगभग 200 करोड़ रुपये की धनराशि न मिलने के कारण एक सितम्बर से आयुष्मान भारत योजना के तहत सेवाएं बंद कर दी हैं।
सरकार का दावा – आवश्यक कदम उठाए गए हैं
इस फैसले ने उन मरीजों के बीच गंभीर चिंता पैदा कर दी है, जो आवश्यक चिकित्सा उपचार के लिए इन सेवाओं पर निर्भर हैं। हालांकि सरकार का दावा है कि किसी भी मरीज को परेशानी न हो, इसके लिए कदम उठाए गए हैं।
इफको-टोकियो जनरल इंश्योरेंस ने पहले ही सूचना दे दी थी
प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष नवम्बर में, जम्मू कश्मीर में आयुष्मान भारत के लिए बीमाकर्ता इफको-टोकियो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी ने राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (एसएचए) को सूचित किया कि वे 14 मार्च, 2025 को अनुबंध समाप्त होने के बाद उसका नवीनीकरण नहीं करेंगे। शुरुआत में, इस योजना का प्रबंधन बजाज आलियांज जीआईसी द्वारा किया जाता था, जिसका अनुबंध 2022 में समाप्त हो गया था।
इफको-टोकियो को इसके प्रतिस्थापन के रूप में लाया गया था, लेकिन तब से वित्तीय घाटे का हवाला देते हुए इंश्योरेंस कम्पनी इस योजना से हटने की बात कही है। रोगी देखभाल के हित में कम्पनी को संचालन जारी रखने के लिए एसएचए के अनुरोधों के बावजूद, इफको-टोकियो ने इनकार कर दिया है।
एसएचए ने कम्पनी को योजना से बाहर निकलने से रोकने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, लेकिन गत दो फरवरी को याचिका खारिज कर दी गई, जिससे स्थिति और जटिल हो गई। बाद में सरकार ने एकल पीठ के आदेश पर रोक लगाने के लिए खंडपीठ से अपील की, जिससे मामला विचाराधीन हो गया।
हाल ही में, उच्च न्यायालय ने इफको-टोकियो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी को आर्बिट्रेटर द्वारा यूटी सरकार के साथ विवाद के समाधान तक आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना-सेहत (एबी-पीएमजेएवाई-सेहत) के लिए अनुबंध समझौते की शर्तों के अनुसार मौजूदा व्यवस्था जारी रखने का निर्देश दिया। हालांकि, कम्पनी ने अभी तक इस योजना को दुबारा शुरू नहीं किया है, जिससे अधिकारियों को इसके खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
इफको-टोकियो जनरल इंश्योरेंस के खिलाप अवमानना याचिका दायर
राज्य स्वास्थ्य एजेंसी, जम्मू और कश्मीर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) संजीव एम गडकर ने बताया कि उन्होंने कम्पनी के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है। उन्होंने कहा, ‘हमने सार्वजनिक अस्पतालों को रात की शिफ्ट शुरू करने सहित 24×7 संचालित करने के लिए कहा है और डायलिसिस के मरीजों को इलाज के लिए वहां भेजा जा रहा है।’
निजी अस्पतालों का लगभग 165 करोड़ रुपये बकाया
उन्होंने कहा, ‘मरीज अपनी जानकारी देने के लिए टोल-फ्री नंबर 104 पर कॉल कर सकते हैं और एजेंसी उनके इलाज की मुफ्त व्यवस्था करेगी। निजी अस्पतालों का बकाया वर्तमान में लगभग 165 करोड़ रुपये है। हमने सभी निजी अस्पतालों को आश्वासन दिया है कि उन्हें पिछले चार वर्षों से बिना किसी देरी के नियमित रूप से भुगतान किया जा रहा है। हालांकि, चल रहे मामले के कारण भुगतान में देरी हो रही है और हमने उन्हें आश्वासन दिया है कि समस्या का समाधान होते ही उन्हें तुरंत भुगतान कर दिया जाएगा।’