वाराणसी, 21 जुलाई। वाराणसी के जिला जज की अदालत ने श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एएसआई सर्वे कराने की मांग शुक्रवार को मंजूर कर ली। इस कड़ी अदालत ने मुस्लिम पक्ष की आपत्तियों को खारिज करते हुए हिन्दू पक्ष की दलीलों को मान लिया। अदालत के फैसले को हिन्दू पक्ष अपनी बड़ी जीत बता रहा है तो इससे मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट का फैसला आते ही हिन्दू पक्ष की तरफ से खुशी का भी इजहार किया गया।
इससे पहले शिवलिंग के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई तक रोक लगा चुका है। ऐसे में शिवलिंग वाले क्षेत्र यानी वुजू स्थल को छोड़ अन्य क्षेत्र का सर्वे किया जा सकेगा। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने इस मामले पर 14 जुलाई को सुनवाई पूरी कर आदेश सुरक्षित रख लिया था।
एएसआई निदेशक को 4 अगस्त तक सर्वेक्षण टीम गठित करने का आदेश
जिला जज की अदालत ने एएसआई के निदेशक को सर्वेक्षण के लिए आदेशित करते हुए कहा कि बिना कोई क्षति पहुंचाए वे वैज्ञानिक तरीके से सर्वेक्षण कराएं। कोर्ट ने एएसआई के निदेशक को चार अगस्त तक सर्वेक्षण के लिए टीम गठित करने का आदेश दिया है। कोर्ट चार अगस्त को मामले की अगली सुनवाई करेगा। उस दिन तय होगा कि सर्वे किस तरह से होगा। इस जीत के साथ ही हिन्दू पक्ष हाई कोर्ट में कैविएट भी दाखिल करेगा।
गौरतलब है कि श्रृंगार गौरी की पूजा का अधिकार मांग रहीं चार महिलाओं – लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास व रेखा पाठक ने 16 मई को जिला जज की अदालत में अर्जी देकर गुहार लगाई थी कि वुजूखाना को छोड़ शेष सभी हिस्सों का वैज्ञानिक तरीके से सर्वे कराया जाए। उनकी तरफ से अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने इस दौरान पिछले साल वुजू खाने में हुए कोर्ट कमीशन की रिपोर्ट पेश करते हुए कहा था कि उस दौरान शिवलिंग जैसी आकृति मिली थी। आकृति की एएसआई जांच का मामला सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है। वुजूखाने को सील किया गया है। ऐसे में उसके आसपास के क्षेत्र का एएसआई सर्वे किया जा सकता है।
विष्णु जैन ने अदालत से कहा कि ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हो तो एक और शिवलिंग मिल सकता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि ज्ञानवापी परिसर के पश्चिमी दीवार के पास खंडहरनुमा अवशेष, तीन गुम्बदों और व्यास जी के तहखाने की जांच भारतीय पुरातत्विक सर्वेक्षण, जीपीआर, वैज्ञानिक व डेटिंग पद्धति से कराई जाए।
जैन ने सर्वे व हिन्दू मंदिर के समर्थन में कई सुबूत व तथ्य भी अदालत में रखे हैं। अदालत ने 22 मई, 12 व 14 जुलाई को भी सुनवाई की। वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि पहले श्रृंगार गौरी के पूजा का अधिकार मांगा गया और अब ज्ञानवापी के सर्वे की मांग केवल केस को उलझाने के लिए की जा रही है।