आर्ट डायरेक्टर नितिन देसाई ने की आत्महत्या, ‘देवदास’, ‘लगान’ जैसी फिल्मों से जीते थे 4 नेशनल अवॉर्ड
मुंबई, 2 अगस्त। बॉलीवुड के ख्यातिनाम प्रोडक्शन डिजाइनर नितिन देसाई ने कथित रूप से आत्महत्या कर ली है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मुंबई के पास करजात स्थित अपने एनडी स्टूडियो में 58 वर्षीय देसाई का शव लटका पाया गया। शुरुआती जांच में सामने आ रहा है कि वह डिप्रेशन से जूझ रहे थे।
नितिन देसाई के निधन पर एमएलए महेश बाल्दी ने विधानसभा में बताया कि वह आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे। नितिन एक्टर, फिल्म मेकर, आर्ट डिजाइनर, सेट डिजाइनर व प्रोडक्शन डिजाइनर के रूप में मशहूर रहे हैं। उनकी लोकप्रियता और काम का अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि उन्हें ‘देवदास’ और ‘लगान’ जैसी फिल्मों से चार बार नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। उन्होंने फिल्मों में कामकाज के साथ-साथ ND स्टूडियो की स्थापना भी की थी।
नितिन ने बतौर डायरेक्टर व आर्ट डायरेक्टर इंडस्ट्री में 20 वर्ष व्यतीत किए
नितिन देसाई ने बतौर डायरेक्टर और आर्ट डायरेक्टर इस इंडस्ट्री में 20 वर्ष व्यतीत किए थे। विधु विनोद चोपड़ा, राजकुमार ईरानी, संजय लीला भंसाली से लेकर आशुतोष गोवारिकर के साथ काम किया था। उन्होंने न केवल प्रोडक्शन डिजाइनर के रूप में काम किया बल्कि कई फिल्मों में एक्टिंग भी की और डायरेक्शन भी किया। उन्होंने बतौर एक्टर ‘हम सब एक हैं’, ‘दाउद : फन ऑन द रन’ व ‘हेलो जय हिंद’ जैसे कुछ प्रोजेक्ट्स में एक्टिंग की थी। वहीं साल 2011 में आई फिल्म हेलो जय हिंद’ को उन्होंने डायरेक्ट भी किया था। फिर उन्होंने साल 2012 में आई मराठी फिल्म ‘अजींथा’ का डायरेक्शन संभाला था।
नितिन देसाई की फिल्में
आर्ट डायरेक्टर के रूप में नितिन देसाई को खूब फेम मिला था। वह साल 1989 में इस क्षेत्र में काम करते आ रहे थे। ‘परिंदा’, ‘आ गले लग जा’, ‘अकेले हम अकेले तुम’, ‘विजेता’, ‘दिलजले’, ‘माचिस’, ‘लगान’, ‘इश्क’, ‘जंग’, ‘मिशन कश्मीर’, ‘वन 2 का 4’, ‘राजू चाचा’, ‘मुन्नाभाई MBBS’, ‘लगे रहो मुन्ना भाई’, ‘दोस्ताना’, ‘गॉड तुस्सी ग्रेट हो’, ‘देवदास’, ‘द लीजेंड ऑफ भगत सिंह’, ‘पानीपत’ से लेकर ‘हम दिल दे चुके सनम’ जैसी सुपरहिट फिल्मों में उन्होंने आर्ट डायरेक्टर का काम संभाला था।
वैसे तो नितिन देसाई ने अपने शानदार करिअर में कई अवॉर्ड्स जीते, लेकिन वह ऐसे आर्ट डायरेक्टर थे, जिन्होंने एक नहीं बल्कि चार-चार नेशनल अवॉर्ड अपने नाम किए थे। उन्हें पहला राष्ट्रीय पुरस्कार साल 1999 में आई फिल्म ‘डॉ बाबासाहेब अंबेडकर’, फिर दूसरा ‘हम दिल दे चुके सनम’ और तीसरा ‘लगान’ और चौथा ‘देवदास’ के लिए मिला था।