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नाराज मल्लिकार्जुन खड़गे ने पूछा – जब सदन चल रहा है, उस वक्त ईडी द्वारा मुझे बुलाना क्या उचित है?

नाराज मल्लिकार्जुन खड़गे ने पूछा – जब सदन चल रहा है, उस वक्त ईडी द्वारा मुझे बुलाना क्या उचित है?

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नई दिल्ली, 4 अगस्त। नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भी गुरुवार को ईडी के समन पर पेश होना पड़ा। ईडी द्वारा चूंकि यह समन संसद के मॉनसून सत्र के दौरान भेजा गया, लिहाजा वह प्रवर्तन निदेशालय पर भड़क गए। उन्होंने सरकार से सवाल पूछा कि सदन के बीच उन्हें ईडी द्वारा बुलाना कितना उचित है?

खड़गे ने राज्यसभा में कहा, ‘सदन की बैठक हो रही है। मैं भी इस सदन का एक सदस्य हूं और विपक्ष का नेता भी हूं। लेकिन मुझे इस वक्त ईडी का समन आता है कि जल्दी आइए।’ खड़गे ने कहा कि उन्हें 12.30 बजे ईडी ने बुलाया है, इसलिए कानून का पालन करने के लिए वह ईडी कार्यालय जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘… जब सदन चल रहा है, उस वक्त ईडी द्वारा मुझे बुलाया जाना क्या उचित है?’

‘क्या ऐसी स्थिति में लोकतंत्र जिंदा रहेगा? क्या हम संविधान के मुताबिक कार्य कर रहे?  

खड़गे ने कहा, ‘कल (बुधवार) पुलिस के द्वारा सोनिया गांधी और राहुल गांधी के घर को घेर लिया गया था। क्या ऐसी स्थिति में लोकतंत्र जिंदा रहेगा? क्या हम संविधान के मुताबिक कार्य कर रहे हैं? हम डरने वाले नहीं हैं। हम लड़ाई लड़ते रहेंगे।’

कांग्रेस का आरोप – ‘मोदीशाही’ का स्तर हर दिन नीचे गिरता जा रहा

दूसरी तरफ कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उस वक्त समन किया गया, जब संसद का सत्र चल रहा है, जो दिखाता है कि ‘मोदीशाही’ का स्तर पर हर दिन नीचे गिरता जा रहा है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘जब संसद का सत्र चल रहा है तब ईडी ने राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को समन भेजा। वे दोपहर लगभग 12:20 बजे संसद से निकले और ईडी के समक्ष पेश हुए। मोदीशाही का स्तर हर दिन नीचे गिरता जा रहा है।’

पीयूष गोयल का जवाब – कानूनी एजेंसियां अपना कार्य करने के लिए स्वतंत्र

वहीं कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार कभी भी कानून का पालन करवाने वाली किसी भी एजेंसी के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करती है। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है शायद कांग्रेस सरकार के समय ऐसी परंपरा रही होगी। आज के समय अगर कोई भी कुछ भी गलत कार्य करता है तो कानूनी एजेंसियां अपना कार्य करने के लिए स्वतंत्र हैं।’

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