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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोले अमिताभ कांत – जीने व सांस लेने के अधिकार की जगह पटाखे फोड़ने को वरीयता

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोले अमिताभ कांत – जीने व सांस लेने के अधिकार की जगह पटाखे फोड़ने को वरीयता

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नई दिल्ली, 21 अक्टूबर। दीपावली के अवसर पर दिल्लीवासियों ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ग्रीन पटाखे जलाने की मिली छूट का भले ही जमकर आनंद उठाया, लेकिन दीपोत्सव के बाद मंगलवार की सुबह राष्ट्रीय राजधानी और एनसीआर का वायुमंडल धुंध के साथ ही इस कदर दम घोंटू हुआ कि लोगों की सांसों पर संकट पैदा हो गया।

दूसरे शब्दों में कहें तो दिल्ली की जहरीली हवा का स्तर अनुमान से भी अधिक जा पहुंचा। यही वजह रही कि अब सुप्रीम कोर्ट फैसले को लेकर भी सवाल उठने लग गए हैं। कहा जा रहा है कि शीर्ष अदालत ने जीने के अधिकार की जगह पटाखे फोड़ने के अधिकार को तरजीह दी।

भारत में 2023 जी-20 शिखर सम्मेलन के शेरपा और केंद्र के थिंक टैंक नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खरी-खोटी सुनाते हुए कहा कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ है। सुप्रीम कोर्ट ने ‘पटाखे जलाने के अधिकार को जीने और सांस लेने के अधिकार से ऊपर’ रखा है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदूषण नियंत्रण के ‘निर्मम और निरंतर कार्यान्वयन’ से ही दिल्ली को ‘स्वास्थ्य और पर्यावरणीय आपदा’ से बचाया जा सकता है।

अमिताभ कांत की यह कड़ी टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब राष्ट्रीय राजधानी में लगातार पटाखे फोड़ने के बाद जहरीली हवा की एक मोटी परत जम गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, दोपहर एक बजे दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 357 था, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में था।

सुप्रीम कोर्ट ने हटाया था बैन

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस माह की शुरुआत में पटाखे फोड़ने पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था। साथ ही कहा था कि दिल्लीवासी दिवाली मनाने के लिए ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल कर सकते हैं। अदालत ने कहा कि वह ‘एक संतुलित दृष्टिकोण अपना रही है, परस्पर विरोधी हितों को ध्यान में रखते हुए और सीमित मात्रा में अनुमति देते हुए, उत्पन्न होने वाली पर्यावरणीय चिंताओं से समझौता नहीं कर रही है।

हालांकि, अदालत ने दो दिनों के लिए सुबह छह बजे से सात बजे और रात आठ बजे से 10 बजे के बीच पटाखे फोड़ने की अनुमति दी थी, लेकिन दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में आधी रात के बाद भी पटाखे फूटते देखे गए।

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