अमेरिकी समाचार पत्र वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा – ‘भाजपा दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण पार्टी’
नई दिल्ली, 21 मार्च। अमेरिका के प्रमुख समाचार पत्र वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अमेरिकी राष्ट्रीय हितों के दृष्टिकोण से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण विदेशी राजनीतिक पार्टी करार दिया है। अखबार में प्रकाशित लेख में वाल्टर रसेल मीड ने कहा है कि भाजपा को अब तक सबसे कम समझा जा सका है।
भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में भी जीत की ओर बढ़ रही
लेख में कहा गया है कि वर्ष 2014 और 2019 में लगातार जीत के बाद भाजपा 2024 में भी जीत की ओर बढ़ रही है। इस दौरान भारत एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में जापान के साथ अमेरिका का प्रमुख सहयोगी है। अखबार आगे लिखता है कि निकट भविष्य में भाजपा एक ऐसे देश में निर्णायक भूमिका निभाएगी, जिसकी मदद के बिना बढ़ती चीनी शक्ति को संतुलित करने के अमेरिकी प्रयास विफल हो सकते हैं।
भारत को वैश्विक महाशक्ति बनाने की उम्मीद करती है पार्टी
लेखक वाल्टर रसेल मीड ने कहा है कि भाजपा, मुस्लिम ब्रदरहुड की तरह पश्चिमी उदारवाद के कई विचारों और प्राथमिकताओं को खारिज करती है, लेकिन यह आधुनिकता की प्रमुख विशेषताओं को भी अपनाती है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की तरह, भाजपा एक अरब से अधिक आबादी वाले देश को वैश्विक महाशक्ति बनाने की उम्मीद करती है। इजराइल में लिकुड पार्टी की तरह, भाजपा लोकलुभावन बयानबाजी और पारंपरिक मूल्यों के साथ मूल रूप से बाजार समर्थक आर्थिक रुख अपनाती है। भाजपा उन लोगों के गुस्से को भी प्रसारित करती है, जिन्होंने महानगरीय, पश्चिम-केंद्रित सांस्कृतिक और राजनीतिक अभिजात्य वर्ग द्वारा बहिष्कृत और तिरस्कृत महसूस किया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के साथ अपनी मुलाकात को भी याद करते हुए मीड लिखते हैं, ‘जब मैं योगी आदित्यनाथ से मिला, जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा करने वाले एक हिन्दू संत हैं और जो नरेंद्र मोदी के उत्तराधिकारी भी माने जाते हैं, तब योगी ने उनके राज्य में निवेश और विकास लाने के बारे में बातें की थीं।’
संघ प्रमुख से मुलाकात का जिक्र करते हुए मीड लिखते हैं, ‘आरएसएस के सबसे बड़े नेता मोहन भागवत ने मुझसे भारत के आर्थिक विकास में तेजी लाने की आवश्यकता के बारे में बात की। भागवत ने इस विचार को खारिज कर दिया कि धार्मिक अल्पसंख्यकों को भेदभाव या नागरिक अधिकारों का नुकसान उठाना चाहिए।’