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यूपी चुनाव : अखिलेश यादव भले ही जीते, लेकिन मुलायम के गढ़ में भी भाजपा ने लगाई सेंध

यूपी चुनाव : अखिलेश यादव भले ही जीते, लेकिन मुलायम के गढ़ में भी भाजपा ने लगाई सेंध

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मैनपुरी, 11 मार्च। समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने पिता और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि करहल से भले ही जीत दर्ज की, लेकिन उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने का उनका दावा हवा हवाई बन कर रह गया क्योंकि उनकी पार्टी पिछली बार के मुकाबले लगभग ढाई गुना ज्यादा सीटें पाने के बावजूद 111 सीटों तक ही पहुंच सकी।

दिलचस्प तो यह रहा कि इस लड़ाई में भारतीय जनता पार्टी ने मुलायम के गढ़ यानी मैनपुरी में भी इस बार सेंध लगा दी और चार में दो सीटों पर जीत हासिल कर ली। वर्ष 2017 में भाजपा ने भोगांव सीट जीतकर सपा के गढ़ में सेंध लगाई थी। लेकिन अबकी भोगांव के साथ सदर सीट पर भी भगवा फहरा दिया।

मैनपुरी सदर सीट पर भाजपा प्रत्याशी जयवीर सिंह भदौरिया ने सपा प्रत्याशी राजकुमार यादव राजू को 7,264 वोटों से हराया तो जबकि भोगांव सीट से कैबिनेट मंत्री रामनरेश अग्रिहोत्री ने सपा प्रत्याशी आलोक शाक्य को 3800 वोटों से हराया। किसनी में सपा के बृजेश कठेरिया ने भाजपा के डॉ. प्रिय रंजन आशू दिवाकर को 19,151 वोटों से मात दी।

अखिलेश ने मैनपुरी के इतिहास में दर्ज की सबसे बड़ी जीत

हालांकि सपा सुप्रीमो अखिलेश ने मैनपुरी जिले के इतिहास में विधानसभा चुनाव में अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज की। उन्होंने करहल से केंद्रीय कानून राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल को  67,504 मतों से हराया। अखिलेश को कुल 1,48196 वोट मिले जबकि बघेल 80,455 मत पा सके।

शेर सुनाकर चले गए बघेल

दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश के खिलाफ भाजपा ने प्रो. बघेल को उतारकर चुनाव को रोचक बना दिया था। उनके आने के बाद मुलायम सिंह यादव के साथ ही सैफई परिवार को चुनाव मैदान में उतरना पड़ा। बघेल भले ही करहल सीट पर चुनाव हार गए, लेकिन पार्टी का उन्हें मैदान में उतारने का फार्मूला सफल रहा। उनके आने से ओबीसी और दलित वोट भाजपा से साथ आया। नवीन मंडी में चुनाव परिणाम विपरीत देखकर बघेल एक शेर सुनाकर गिनती बीच में ही छोड़कर चले गए। उनका शेर था – कातिल बहुत जलील हुआ मेरा सिर उतारकर, हमने दिलों को जीत लिया जंग हारकर….

करहल विधानसीट पर उपचुनाव की अटकलें तेज

फिलहाल आजमगढ़ से मौजूदा सांसद अखिलेश की जीत के साथ ही करहल सीट पर उपचुनाव की अटकलें भी तेज हो गई हैं क्योंकि राजनीतिक पंडितों का कहना है कि वह संसद की सदस्यता से इस्तीफा नहीं देंगे। इसका मतलब है कि वह करहल विधानसभा सीट छोड़ देंगे और यदि ऐसा हुआ तो करहल सीट पर उपचुनाव होगा।

शिवपाल के हिस्से भी बड़ी जीत, इटावा में भाजपा को सिर्फ एक सीट

उधर मुलायम परिवार का गढ़ माने जाने वाले इटावा में एक बार फिर सपा का प्रभाव देखने को मिला, जहां तीन विधानसभा सीटों में से दो पर अखिलेश के चाचा शिवपाल सिंह यादव सहित दो प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की और भाजपा सिर्फ एक सीट जीत सकी।

चुनाव के ठीक पहले अपनी पार्टी का समाजवादी पार्टी में विलय कर लेने वाले शिवपाल ने जसवंत नगर सीट से भाजपा प्रत्याशी विवेक शाक्य को 90,979 वोटों से शिकस्त दी। वहीं भरथना सीट से राघवेंद्र कुमार सिंह ने भाजपा के सिद्धार्थ शंकर को 8,864 मतों से परास्त किया जबकि इटावा सदर सीट से भाजपा की सरिता ने सपा के सर्वेश कुमार शाक्य को 3,984 मतों से हराया।

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