राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे से पहले मिलिट्री सहयोग समझौते को मंजूरी, एक-दूसरे की जमीन पर सैन्य तैनाती हो सकेगी
मॉस्को, 2 दिसम्बर। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से पहले रूस की संसद के निचले सदन स्टेट ड्यूमा ने मंगलवार को दोनों देशों के बीच मिलिट्री सहयोग पर एक समझौते को मंजूरी दे दी है। इस समझौते का उद्देश्य आपसी सेना की ड्रिल, बचाव और मानवीय कोशिशों को आसान बनाना है। इसके अलावा रूस और भारत को एक दूसरे की जमीन पर कानूनी तौर पर सैनिक और सैन्य हथियार तैनात करने की इजाजत मिलेगी। माना जा रहा है कि इस समझौते से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ज्यादा चिढ़ सकते हैं। उन्होंने रूसी तेल खरीद के कारण पहले ही भारत पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लगाया है।
4-5 दिसम्बर को भारत का अपना 10वां दौरा करेंगे पुतिन
उल्लेखनीय है कि व्लादिमीर पुतिन 4-5 दिसम्बर को भारत का अपना दसवां दौरा करेंगे। यह 2021 के बाद उनका पहला भारत दौरा होगा। इस दौरान रूसी राष्ट्रपति के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कई आपसी मुद्दों पर चर्चा करने की उम्मीद है।
बातचीत के एजेंडे में भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग सबसे ऊपर रहने की संभावना है। भारत और रूस 1960 के दशक की शुरुआत से ही रक्षा क्षेत्र में पार्टनरशिप कर रहे हैं। भारत ने रूस समेत दोस्त देशों की डिफेंस कम्पनियों को घरेलू हथियार बनाने वाली कम्पनियों के साथ काम करने के लिए बढ़ावा दिया है, ताकि मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ इनिशिएटिव को बढ़ावा मिल सके।
क्रेमलिन ने पुतिन के भारत दौरे को बताया जरूरी
क्रेमलिन ने पिछले हफ्ते एक बयान में कहा, ‘यह दौरा बहुत जरूरी है, जो पॉलिटिकल, ट्रेड-इकोनॉमिक, साइंटिफिक-टेक्नोलॉजिकल और कल्चरल-ह्यूमैनिटेरियन फील्ड में रूस-भारत के रिश्तों के बड़े एजेंडा पर पूरी तरह से चर्चा करने का मौका देता है, साथ ही मौजूदा इंटरनेशनल और रीजनल मुद्दों पर भी विचार करता है।’ पीएम मोदी और पुतिन पिछली बार सितम्बर में चीन के शहर तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में मिले थे।
S-400 की मिसाइलें खरीदना चाहता है भारत
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत मई में पाकिस्तान के साथ टकराव के बाद स्टॉक को फिर से भरने के लिए रूस में बने S-400 सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम के लिए 300 मिसाइलें खरीदना चाहता है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान एस-400 मिसाइल सिस्टम ने पाकिस्तान के खिलाफ जबर्दस्त शक्ति प्रदर्शन किया था। ऐसी संभावना है कि भारत एस-400 की कुछ और बैटरियों की खरीद पर भी समझौता करे। इसके अलावा एस-500 मिसाइल सिस्टम के साझा विकास और दूसरे कई हथियारों पर समझौता हो सकता है।
