1. Home
  2. हिन्दी
  3. राष्ट्रीय
  4. पाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने के बाद इसके अध्ययन और संरक्षण को मिलेगा बढ़ावा
पाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने के बाद इसके अध्ययन और संरक्षण को मिलेगा बढ़ावा

पाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने के बाद इसके अध्ययन और संरक्षण को मिलेगा बढ़ावा

0
Social Share

नई दिल्ली,5अक्टूबर। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पांच भारतीय भाषाओं- पाली, प्राकृत, असमिया, बंगाली और मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने को मंजूरी दे दी है। पाली भाषा की उत्पत्ति ऐतिहासिक मगध क्षेत्र में हुई थी।

ये एक बौद्ध विहित भाषा थी जो पुरानी इंडो-आर्यन वैदिक और संस्कृत बोलियों से जुड़ी हुई है। शास्त्रीय भाषा का दर्जा भाषा मिलने के बाद इसके अध्ययन और संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।

आकाशवाणी समाचार से विशेष बातचीत में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पाली और बौद्ध अध्ययन विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. सिद्धार्थ सिंह ने कहा कि पाली भारतीय सभ्यता, बौद्ध धर्म और संस्कृति के विकास के लिए आवश्यक रही है।

उन्होंने कहा कि भाषा ने भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया से जुड़ने और गौतम बुद्ध की शिक्षाओं को फैलाने में मदद की।

महात्मा बुद्ध और महावीर जैसी प्रख्यात हस्तियों के उपदेश प्राकृत भाषा में हैं। जिससे उन्‍होंने अपने उपदेशों को जनता तक प्रभावी ढंग से पहुंचाया। यह दर्जा मिलने के बाद ये भाषा विशेष रूप से जैन और बौद्ध ग्रंथों के क्षेत्र में भारत की समृद्ध साहित्यिक विरासत के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करेगी।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्टडीज के प्रोफेसर डॉ. उपेंद्र राव ने आकाशवाणी को बताया कि प्राकृत और पाली भारत की संस्कृति, सभ्यता, इतिहास और भाषा विज्ञान का आवश्यक हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि इन दोनों भाषाओं को समझे बिना भारत को समझना संभव नहीं है।

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code