नई दिल्ली, 30 सितम्बर। राष्ट्रीय राजधानी में नशे का अवैध कारोबार कर रहे सैकड़ों अफ्रीकी-नाइजीरियाई नागरिक दिल्ली पुलिस के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। हाल के महीनों में पुलिस ने ऐसे ढाई सौ से ज्यादा विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है और उन्हें अदालती आदेश पर जेल में बंद किया गया है। विभिन्न जांच एजेंसियों से जुड़े अधिकारियों का कहना है की ऐसे अपराधियों के लिए निर्वासन की नीतियों में बदलाव करना चाहिए ताकि बार-बार अपराध करने वालों को उनके देश वापस भेजा जा सके।
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि सरकार की उदार नीतियों का बहुत से अफ्रीकी-नाइजीरियाई बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं। वे अब मादक पदार्थों की तस्करी तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि कानून व्यवस्था के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं। आए दिन ऐसे विदेशी नागरिक पकड़े जा रहे हैं, जो बिना वीजा एवं अन्य वैध दस्तावेजों के यहां रह रहे हैं। वे मादक पदार्थों की तस्करी से लेकर और कई प्रकार के साइबर अपराध को अंजाम दे रहे हैं।
ऐसे ही आरोपों के तहत बीते कुछ महीनों में राजधानी के विभिन्न थानों में 250 से अधिक लोग गिरफ्तार किये गए है। इनमें अधिकांश मोहन गार्डन, उत्तम नगर, तिलक नगर और निहाल विहार थाना क्षेत्रों में पुलिस की विभिन्न कार्रवाई के दौरान पकड़े गए हैं। बीते तीन दिनों में 53 अफ्रीकी-नाइजीरियाई नागरिकों ने द्वारका मोड़ पर एक अस्पताल और मोहन गार्डन थाने पर हमले कर दिया था जिसमें कुछ पुलिसकर्मी को घायल हो गए थे। दंगा फैलाने के आरोप में 26-29 सितंबर के दौरान इन विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तारी के बाद इन्हें द्वारका अदालत में ड्यूटी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है। इस मामले में आगे की जांच की जा रही है। और अभियुक्तों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। रविवार रात एक अफ्रीकी नागरिक की अस्पताल की लापरवाही से मौत का आरोप लगाते हुए करीब 100 अफ्रीकी-नाइजीरियाई लोगों ने कथित रूप से अस्पताल पर धावा बोल दिया था। वहां पुलिस ने किसी तरह उन्हें काबू कर लिया, लेकिन इसी बीच एक हिंसक भीड़ ने मोहन गार्डन थाने हमला बोल दिया।
इसी दौरान ड्यूटी पर तैनात एएसआई रामकरण और सिपाही अनिल एवं मलकीत घायल हो गए थे । हमलावरों ने पत्थरों एवं लाठी-डंडों से हमला बोला। उस वक्त वहां के ज्यादातर पुलिसकर्मी द्वारका मोड़ स्थित तारक अस्पताल को निशाना बना रहे उपद्रवियों को काबू करने में जुटे हुए थे। इसी अस्पताल पर इलाज में लापरवाही के आरोप लगाए गए थे हालांकि अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा था की उसके पास मृत अवस्था में ही अफ्रीकी नागरिक को लाया गया था।
पुलिस ने मृतक के शव को सुरक्षित रख दिया है। विशेषज्ञ डॉक्टरों का एक दल पोस्टमार्टम के बाद रिपोर्ट देगा और उसी आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। इसी तरीके के एक मामला मार्च में सामने आया जहां तिलक नगर थाने को निशाना बनाया था। उस वक्त भी बड़ी संख्या में आरोपी गिरफ्तार किए गए थे। निहाल विहार थाना क्षेत्र में पिछले दिनों अवैध रूप से शराब परोसने के आरोप में पांच अफ्रीकी- नाइजीरियाई नागरिकों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। मोहन गार्डन-उत्तम नगर क्षेत्र में एक माह में करीब 10 अफ्रीकी नाइजीरियाई बिना वीजा एवं अन्य दस्तावेजों के मामले में गिरफ्तार किए गए।
पुलिस ने पिछले दिनों इसी क्षेत्र में 12 करोड़ की हेरोइन के साथ एक विदेशी नागरिक को गिरफ्तार किया था। पुलिस के खिलाफ गुस्से का ये भी एक कारण हो सकता है।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अपराध में शामिल लोगों के लिए वीजा नियमों में बदलाव कर उसे सख्त बनाने और ऐसे लोग जो बार-बार संगीन अपराधों को अंजाम देते हैं उनके लिए बायोमेट्रिक डाटा बैंक तैयार किया जाना चाहिए, ताकि ऐसे लोग नाम और अपने पते बदल कर अपराध नहीं कर पाए। इसके अलावा ऐसे लोगों की भी पहचान के लिए विशेष उपाय किए जाने की जरूरत है जो बार-बार अपराध करते हैं और अदालती सुनवाई के बहाने भारत में सालों से रहे हैं।
उनका कहना है कि इस तरीके के मामलों में जब तक सरकार कोई बड़ नीतिगत फैसला कर इन्हें बाहर करने का उपाय नहीं करेगी तब तक वे इस प्रकार से पुलिस के लिए चुनौती बने रह सकते हैं। दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता एवं अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त चिन्मय बिस्वाल कहना है कि पुलिस ऐसे अपराधियों को पकड़ने में कोई ढिलाई नहीं बरती जाती और उन्हें समय रहते गिरफ्तार कर लिया जाता है।