गुजरात चुनाव : दक्षिण गुजरात में ‘आप’ और आदिवासियों के प्रदर्शन से भाजपा की राह कठिन
अहमदाबाद, 22 नवम्बर। दक्षिण गुजरात क्षेत्र में आम आदमी पार्टी (आप) की चुनौती और विभिन्न सरकारी परियोजनाओं के खिलाफ स्थानीय आदिवासियों के प्रदर्शन के कारण सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए आगामी विधानसभा चुनावों में परेशानी खड़ी हो सकती है।
गुजरात में पहले चरण के तहत जिन 89 सीटों पर एक दिसम्बर को चुनाव होना है, उनमें से 35 सीटें दक्षिणी जिलों – भरूच, नर्मदा, तापी, डांग, सूरत, वलसाड और नवसारी में फैली हुई हैं।
भाजपा ने 2017 में इन 35 सीटों में से 25 पर जीत दर्ज की थी जबकि कांग्रेस और भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने क्रमश: आठ और दो सीटें जीती थीं। लेकिन क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 14 सीटों में से भाजपा केवल पांच पर ही जीत दर्ज कर सकी थी। इसके बाद हुए उपचुनावों में उसने कांग्रेस से दो और सीटें डांग तथा कपराडा छीन ली थी।
आदिवासी बहुल इलाकों को अब भी भाजपा की कमजोर कड़ी माना जाता है
आदिवासी बहुल इलाकों को अब भी भाजपा की कमजोर कड़ी माना जाता है जबकि दक्षिण गुजरात में शहरी मतदाता 2017 में पार्टी के साथ खड़े रहे थे। 2015 में सूरत हार्दिक पटेल की अगुआई में पाटीदार कोटा आंदोलन का केंद्र था और वहां व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई थी।
सूरत में कपड़ा व्यापारी भी वस्तु एवं सेवा कर लगाने के खिलाफ थे, लेकिन इन सबके बावजूद भाजपा ने सूरत जिले में 16 विधानसभा सीटों में से 15 पर कब्जा जमाया था, जिनमें पाटीदार बहुल वराछा, कामरेज और कतारगाम सीटें शामिल हैं। वह केवल आदिवासी बहुल मांडवी (अनुसूचित जनजाति) पर जीत दर्ज नहीं कर सकी थी।
‘आप‘ ने सूरत नगर निगम चुनाव में 27 सीटें जीती थीं
अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली ‘आप’ के आक्रामक प्रचार अभियान तथा पिछले साल के सूरत नगर निकाय चुनाव में उसके शानदार प्रदर्शन के कारण इस बार मुकाबला फिर से दिलचस्प हो गया है। ‘आप’ ने सूरत नगर निगम चुनाव में 27 सीटें जीती थीं जबकि कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल पाया था।
कांग्रेस ने वराछा सीट से कभी हार्दिक पटेल के करीब रहे पाटीदार नेता अल्पेश कथीरिया को प्रत्याशी बनाया है। पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पीएएएस) के एक अन्य नेता धार्मिक मालवीय ओल्पाड से ‘आप’ के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। ‘आप’ की गुजरात इकाई के अध्यक्ष गोपाल इटालिया कतारगाम से चुनाव लड़ रहे हैं। ‘आप’ के प्रदेश उपाध्यक्ष भेमाभाई चौधरी को विश्वास है कि पाटीदार समुदाय के समर्थन से काफी फर्क पड़ेगा।
आदिवासियों के लिए आरक्षित 14 सीटों में से भाजपा के पास 7 सीटें
आदिवासियों के लिए आरक्षित 14 सीटों में से भाजपा के पास सात – डांग, कपराडा, उमरगाम, धरमपुर, गांडवी, महुवा और मंगरोल सीटें हैं। कांग्रेस के युवा आदिवासी चेहरे विधायक अनंत पटेल राजमार्ग परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ नवसारी और वलसाड जिलों में प्रदर्शनों की अगुआई कर रहे हैं। कांग्रेस ने दावा किया कि आदिवासी मतदाता कभी भाजपा पर यकीन नहीं करेंगे।
पीएम मोदी ने 2 हफ्तों के भीतर वलसाड जिले में 2 रैलियां कीं
दक्षिण गुजरात से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तुषार चौधरी ने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि कांग्रेस आदिवासी इलाकों में सीटें जीतेगी क्योंकि स्थानीय लोगों ने हमेशा हम पर विश्वास जताया है। भाजपा निश्चित तौर पर हार रही है और इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 हफ्तों के भीतर वलसाड जिले में 2 रैलियां कीं।’
मंत्री मुकेश पटेल का दावा – आदिवासी लोगों में भाजपा के खिलाफ कोई आक्रोश नहीं
वहीं, भाजपा के मुकेश पटेल ने दावा किया कि आदिवासी लोगों के बीच उनकी पार्टी के खिलाफ कोई आक्रोश नहीं है। ओल्पाड से मौजूदा विधायक और मंत्री पटेल ने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि भाजपा सूरत, तापी, डांग, नवसारी और वलसाड जिलों में सभी 28 सीटें जीतेगी। आदिवासियों के बीच कोई आक्रोश नहीं है बल्कि स्थानीय लोग जानते हैं कि भाजपा सरकार ने ही उनकी मांग पर पेसा (अनुसूचित इलाकों तक पंचायतों के विस्तार) अधिनियम को लागू करने का फैसला किया।’