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मनरेगा में 99.67% श्रमिकों के आधार लिंक, e-KYC से सेवा वितरण होगा तेज और पारदर्शी

मनरेगा में 99.67% श्रमिकों के आधार लिंक, e-KYC से सेवा वितरण होगा तेज और पारदर्शी

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नई दिल्ली, 21 नवम्बर। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने बताया कि मनरेगा (MGNREGA) के कार्यान्वयन को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं ताकि ग्रामीण परिवारों को समय पर और सही लाभ मिल सके। देशभर में 2.69 लाख ग्राम पंचायतों के माध्यम से मनरेगा को चलाया जा रहा है और इसमें 26 करोड़ से अधिक पंजीकृत श्रमिक शामिल हैं। मंत्रालय के अनुसार 99.67% सक्रिय मनरेगा श्रमिकों के आधार नंबर पहले ही जॉब कार्ड से जुड़ चुके हैं, जिससे अब e-KYC प्रक्रिया और भी आसान व तेज हो गई है।

आवेदन मिलने के 15 दिनों के भीतर जॉब कार्ड जारी करना कानूनन अनिवार्य

मनरेगा कानून के अनुसार ग्राम पंचायत को आवेदन मिलने के 15 दिनों के भीतर जॉब कार्ड जारी करना होता है, जिसमें यूनिक जॉब कार्ड नंबर, पंजीकरण संख्या, बीमा पॉलिसी नंबर और आधार नंबर जैसी जानकारी शामिल रहती है। वहीं, जॉब कार्ड का नवीनीकरण हर 5 वर्ष में आवश्यक है। जॉब कार्ड जारी करना, उनका सत्यापन और नवीनीकरण ये सभी जिम्मेदारियां राज्य सरकारों और ग्राम पंचायतों की होती हैं।

राज्यों को सलाह – जॉब कार्ड के सत्यापन और नवीनीकरण के लिए NMMS एप की e-KYC सुविधा का उपयोग करें

वहीं मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि जॉब कार्ड के सत्यापन और नवीनीकरण के लिए NMMS एप (National Mobile Monitoring System) की e-KYC सुविधा का उपयोग करें। यह प्रक्रिया बेहद सरल है और एक श्रमिक की e-KYC सिर्फ एक मिनट में पूरी हो जाती है। ग्राम रोजगार सहायक, वर्कसाइट सुपरवाइजर या पंचायत स्तर का कोई भी कर्मचारी NMMS एप के माध्यम से श्रमिक का फोटो लेता है, जिसे आधार डेटाबेस से तुरंत डिजिटल रूप से मिलान किया जाता है। अब तक 56% सक्रिय श्रमिकों की e-KYC पूरी हो चुकी है।

नेटवर्क जैसी तकनीकी समस्याओं को दूर कर प्रक्रिया को और आसान बनाएं

मंत्रालय ने राज्यों को सलाह दी है कि नेटवर्क जैसी तकनीकी समस्याओं को दूर कर प्रक्रिया को और आसान बनाया जाए। e-KYC वर्कसाइट पर, ग्राम पंचायत द्वारा आयोजित विशेष शिविरों में, या राज्य द्वारा तय किसी भी स्थान पर की जा सकती है। यह कदम मनरेगा में पारदर्शिता, दक्षता और सेवा वितरण को मजबूत करेगा।

मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि जॉब कार्ड या श्रमिकों के नाम हटाने की प्रक्रिया के लिए 24 जनवरी, 2025 को विस्तृत स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी की गई थी। इसमें निष्पक्षता, जवाबदेही और गलत/मनमानी डिलीशन को रोकने के लिए साफ और एकसमान निर्देश दिए गए हैं। इस SOP का पालन करना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है, जबकि मंत्रालय इसकी निगरानी करता है।

ग्रामीण विकास मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि सभी इच्छुक ग्रामीण परिवारों को मनरेगा के तहत उनका हक मिले। साथ ही यह योजना बिना किसी रुकावट, पूरी पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ लागू हो।

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