दरबार नहीं, सरकार बने !
तुम राजकुंवर हम मूढ़ प्रजा,
तुमको बस हुक्म जताना है;
जन्मे तुम राजघराने में,
सीधे पीएम बन जाना है !
हम बैठ परीक्षा पास करें,
जीवन जीने संग्राम करें;
मेहनत कर पेट भरें अपना,
प्रतिभा से पूर्ण करें सपना;
हमको हर बार कमाना है,
जन्मे तुम राजघराने में,
सीधे पीएम बन जाना है !
क्या हुआ नहीं तुम पढ़ पाये,
क्या हुआ नहीं कुछ बन पाये
तुम जन्म लिये अवतार हुआ,
भारत पर फिर उपकार हुआ;
होना ही क्या कम बात तेरी,
हम सेवक, शीश नवाना है,
जन्मे तुम राजघराने में,
सीधे पीएम बन जाना है !
सत्तर वर्षों की गाथा ये,
अब भी ग़ुलाम सब बने हुए;
जो स्वाभिमान पे जीते हैं,
पग पग गढ्ढों में धँसे हुए;
ऐसा सिस्टम निर्माण किया,
प्रतिभा पर तुमने वार किया,
जो चाटुकारिता करते हैं,
वो दरबारी ही बढ़ते हैं;
लूटो और बाँटों मंत्र यही,
कायरता को ललचाना है,
जन्मे तुम राजघराने में,
सीधे पीएम बन जाना है !
इस बार मगर तुम धोखे में,
दरबार नहीं लग पाना है;
युवा पीढ़ी ने ठान लिया,
ये खेल नहीं दोहराना है;
कोई भी माँ से जन्मा हो,
हर जाति धरम, बस सच्चा हो;
अब बिना रीढ़ के बंदों से,
संसद को मुक्त कराना है;
जन्मे तुम राजघराने में,
दुर्लभ पीएम बन पाना है !
भारत में फिर से प्रतिभा का,
खोया परचम लहराना है;
अब बिना रीढ़ के बंदों से,
संसद को मुक्त कराना है !